बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव बना भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का सवाल

दोनों राजनीतिक दल अपने पूरे दम-खम से मैदान में उतर गए हैं

बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव बना भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का सवाल

उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 17 अगस्त तक जारी रहेगी

देहरादून/भाषा। उत्तराखंड में पांच सितंबर को होने वाला बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने से पहले ही दोनों राजनीतिक दल अपने पूरे दम-खम से मैदान में उतर गए हैं।

कैबिनेट मंत्री और भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार विधायक चुने गए चंदन रामदास का अप्रैल में बीमारी से निधन होने के कारण रिक्त हुई बागेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 17 अगस्त तक जारी रहेगी।

चुनाव से ठीक पहले शनिवार को भाजपा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों के कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी रंजीत दास को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवा कर मुख्य विपक्षी दल को एक करारा झटका दिया।

वहीं, कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) में सेंधमारी कर उनके नेता बसंत कुमार को पार्टी में शामिल कर अपने राजनीतिक नुकसान की कुछ भरपाई करने की कोशिश की।

बागेश्वर में रविवार को एक कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बसंत कुमार को पार्टी में शामिल करवाया। कुमार भी आप के टिकट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।

हांलांकि, कांग्रेस के इस कदम को आप ने 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। आप के प्रदेश संगठन समन्वयक जोतसिंह बिष्ट ने कहा कि कांग्रेस का यह कदम गठबंधन धर्म के विपरीत है।

भाजपा में शामिल होने के बाद रंजीत दास ने कहा कि कांग्रेस ने उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई और उन्होंने इसीलिए कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा।

उन्होंने कहा कि उनका परिवार पिछली कई पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा रहा है और उनके पिता अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय में विधायक और मंत्री रहे थे। दास ने कहा कि इसलिए कांग्रेस छोड़ना उनके लिए एक भावनात्मक कदम था।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस पहले मुद्दा विहीन थी और अब प्रत्याशी विहीन भी हो गई है। उन्होंने आप नेता बसंत कुमार के कांग्रेस में शामिल होने पर कहा कि कांग्रेस ने ऐसा कर अपने गठबंधन के सहयोगियों को भी धोखा दिया है।

पिछले साल रिकॉर्ड मतों से चंपावत विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के लिए अपनी नीतियों और निर्णयों पर जनता की राय लेने का पहला मौका होगा।

जानकारों का मानना है कि अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनावों से पहले हो रहा यह चुनाव धामी के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है, जो भाजपा प्रत्याशी को अच्छे अंतर से जितवाकर विपक्षी दलों को प्रदेश में खासकर कुमाऊं क्षेत्र में अपनी पकड़ को लेकर एक साफ संदेश देना चाहेंगे।

भाजपा को प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान, भर्ती घोटाले सहित भ्रष्टाचार के मामलों में तत्काल जांच और कार्रवाई, समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन जैसे मुद्दे और दिवंगत विधायक चंदन रामदास के प्रति सहानूभूति की लहर के बल पर चुनावी वैतरणी पार होने की पूरी उम्मीद है।

वर्ष 2017 विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार प्रदेश में पराजित हो रही कांग्रेस भी इस चुनाव के जरिए अपनी वापसी करना चाहती है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा ने इस संबंध में कहा कि लोग केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों से महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर भाजपा की चुप्पी, बेरोजगारों पर लाठीचार्ज, पलायन की समस्या, चिकित्सकों की कमी जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर बहुत नाराज हैं और भाजपा को सबक सिखाने को तैयार हैं।

माहरा ने कहा कि बागेश्वर की जनता पढ़ी-लिखी है और मुद्दों को लेकर आक्रोशित है। उन्होंने कहा कि बागेश्वर उपचुनाव में भाजपा को करारा जवाब मिलेगा।

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