अमृतकाल का यह समय सोते हुए सपने देखने का नहीं: मोदी
आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्म कुमारीज संस्थान द्वारा आयोजित ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम के राष्ट्रीय उद्घाटन समारोह को ऑनलाइन संबोधित किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है। इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं। राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। यह भाव, यह बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। आज देश जो कुछ कर रहा है, उसमें सबका प्रयास शामिल हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश लाखों स्वाधीनता सेनानियों के साथ नारी शक्ति के योगदान को याद कर रहा है। अमृत काल का यह समय हमारे ज्ञान, शोध और इनोवेशन का समय है। हमें एक ऐसा भारत बनाना है जिसकी जड़ें प्रचीन परंपराओं और विरासत से जुड़ी होगी और जिसका विस्तार आधुनिकता के आकाश में अनंत तक होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोकतंत्र में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। 2019 के चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। आज देश की सरकार में बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां महिला मंत्री संभाल रही हैं। अब समाज इस बदलाव का नेतृत्व खुद कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है। अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है, और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल का यह समय सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जाग्रत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है। आने वाले 25 साल परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के वर्ष हैं। सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, यह 25 वर्ष का कालखंड उसे दोबारा प्राप्त करने का है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भी मानना होगा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में, हमारे समाज में, हमारे राष्ट्र में, एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है। यह बुराई है अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि न रखना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 75 वर्षों में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों के लिए झगड़े, जूझे, समय खपाते रहे। अधिकार की बात कुछ हद तक, कुछ समय के लिए, किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपना बहुत बड़ा समय इसलिए गंवाया है, क्योंकि कर्तव्यों को प्राथमिकता नहीं दी गई। 75 वर्षों में कर्तव्यों को दूर रखने की वजह से जो खाई पैदा हुई है, अधिकारों की ही बात करने की वजह से समाज में जो कमी आई है, उसकी भरपाई हम मिलकर कर्तव्य की साधना करके कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया। हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि दुनिया भारत को सही रूप में जानें, ऐसी संस्थाएं जिनकी दुनिया में कई देशों में उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारे में जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरूक करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी इस बात के साक्षी रहे हैं कि भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किस तरह अलग-अलग प्रयास चलते रहे, इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत कुछ चलता रहता है। इससे हम यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि यह सिर्फ राजनीति है। यह राजनीति नहीं है, यह हमारे देश का सवाल है।
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