संयम लीला लहर है, संसार खारा ज़हर है: डॉ. समकित मुनि

'किम्पक फल कहता है कि मुझे जो खाएगा उसकी मृत्यु हो जाती है'

संयम लीला लहर है, संसार खारा ज़हर है: डॉ. समकित मुनि

ऐसे जहर रूपी संसार में आपका सबसे प्यारा कौन है?

चेन्नई/दक्षिण भारत। यहां पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल ट्रस्ट में विराजमान डॉ. समकित मुनिजी म.सा. ने सोवार को प्रवचन के दौरान कहा कि संयम लीला लहर है और संसार खारा जहर है। उन्होंने कहा कि किम्पक फल कहता है कि मुझे जो खाएगा उसकी मृत्यु हो जाती है। वही किम्पक फल आपके घर में है, यह बाजार में नहीं मिलता। 

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आगमकार कहते हैं कि पति-पत्नी अब यही किम्पक फल का सेवन करते ही जा रहे हैं। हम कहते हैं कि हम नहीं खाते, लेकिन लगातार इसका ही सेवन करते जा रहे हैं। यह सारे जहर हैं जिनका हम सेवन कर रहे हैं।

मुनिश्री ने प्रवचन में प्रश्न किया कि ऐसे जहर रूपी संसार में आपका सबसे प्यारा कौन है? तीन विकल्प दिए, पैसा, पत्नी या पुत्र। जवाब आया पैसा। लेकिन जब पुत्र का किडनैप हुआ और फिरौती में पैसा मांगा गया, तो क्या चाहिए पैसा या पुत्र? तब उत्तर आया - पुत्र। और जब प्रसव के समय पत्नी और पुत्र दोनों की जान ख़तरे में हो, तो किसे बचाओगे? तब उत्तर आया - पत्नी।

इसके बाद कहा गया कि अगर ऐसा माहौल हो जिसमें बचना नामुकिन हो, तो किसे बचाओगे ख़ुद को या पत्नी को? जवाब आया ख़ुद को। मुनिश्री ने समझाया कि इसी तरह पैसा, पत्नी, पुत्र हर बार हम किसी न किसी विकल्प को चुनते हैं, मगर असल में कोई हमारा नहीं होता। वक्त के साथ सब बदल जाता है। इसलिए सवाल है ‘जीवन प्यारा है या शरीर प्यारा?' तो उत्तर है - यह जीवन आत्मा के कारण है और आत्मा सबसे प्यारी होती है।

मुनिजी ने कहा कि पर्व पर्युषण धर्म की ताकत बताने के लिए है। इसलिए इसमें अपने धर्म की शक्ति का अनुभव करना चाहिए। धर्म कभी दिमाग से मत करना, वरना धर्म कभी नहीं होगा। यदि अपने से होता है तो करो, लेकिन कभी दूसरों को मत रोकना। 

उन्होंने कहा कि किसी को रोकना है तो पाप करने से रोको, धर्म करने से कभी मत रोको। पक्का संकल्प करना चाहिए कि पर्व पर्युषण में मुझे तपस्वी बनना है। पहला कदम हमेशा आत्मविश्वास के साथ लेना चाहिए, तभी मंजिल पक्की होती है।

इस अवसर पर अध्यक्ष चंद्रप्रकाश तालेड़ा, कार्याध्यक्ष मिलाल पगारिया, संतोश पगारिया और धर्मराज चोपड़ा उपस्थित रहे। मंच संचालन मंत्री विनयचंद पावेचा ने किया।

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