संस्कृति और प्रजा की रक्षा में जैन श्रेष्ठियों का महत्त्वपूर्ण योगदान: आचार्य विमलसागरसूरी

'नैतिक मूल्यों का निरंतर ह्रास हो रहा है'

संस्कृति और प्रजा की रक्षा में जैन श्रेष्ठियों का महत्त्वपूर्ण योगदान: आचार्य विमलसागरसूरी

'देश में सांप्रदायिक कट्टरता चरम पर है'

गदग/दक्षिण भारत। शुक्रवार को राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में पार्श्व-बुद्धि-वीर वाटिका के विशाल पंडाल में पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीजी ने कहा कि वस्तुपाल और तेजपाल ने गुजरात में शांति व आपसी सौहार्द के लिए विशेष प्रयास किए थे। 

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देश और राज्यों के वर्तमान सभी नायकों को भेदभाव रहित प्रामाणिक नीति अपनाकर, सबके प्रति सद्भाव रखते हुए सबकी भलाई का सोचना चाहिए, यही लोकतंत्र की खरी सफलता है। 

आचार्य विमलसागर सूरीश्वरजी ने कहा कि आज देश में सांप्रदायिक कट्टरता चरम पर है। अपने वोट बैंक के लिए राजनेता प्रजा को भ्रमित कर रहे हैं। अनेक राजनेता तो प्रजा की भलाई के लिए नहीं, सिर्फ अपनी कुर्सी के लिये दिन-रात एक कर रहे हैं। जहां देखो वहां नैतिक मूल्यों का निरंतर ह्रास हो रहा है। 

वर्तमान युग में कोई किसी पर जल्दी विश्वास करने को तैयार नहीं है। अच्छाइयों के प्रति जनसामान्य की आस्था टूटती जा रही है। ऐसे दौर में करीब 800 वर्ष पहले गुजरात के तत्कालीन महामंत्री वस्तुपाल और सेनापति तेजपाल जैसे जैन श्रेष्ठियों के योगदान को याद किया जाना चाहिए्। 

स्वयं जैनधर्मी होते हुए भी उन्होंने हिन्दू, मुसलमान, बौद्ध और दलित, सभी जाति-वर्गों की भलाई के लिए पूरी निष्ठा और प्रामाणिकता से अपने कर्तव्यों को निभाया था। सरकार का खजाना खाली करके वाहवाही लूटना सरल है, लेकिन अपनी मेहनत की कमाई से लोगों के दुःख-दर्द दूर करना वास्तविक परोपकार है। 

आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने आगे कहा कितत्कालीन गुजरात में मुसलमानों की संख्या भी काफी थी। वस्तुपाल और तेजपाल ने उनके साथ भी कोई भेदभाव नहीं होने दिया था। तत्कालीन ऐतिहासिक ग्रंथों में ऐसी अनेक बातों के गौरवशाली उल्लेख है। 

लोकजीवन में रहकर इतना सब करते हुए भी वे अपने धर्म, सदाचार, संस्कृति और शाकाहार को पूरी तरह समर्पित थे। अपनी कार्यकुशलता से उन्होंने राजा विशल के शासन काल को सशक्त बनाया था। आधुनिक राजनीति में ऐसे निस्वार्थ नायकों की संख्या बहुत कम है, लेकिन जो हैं उन्हें अपना समर्थन देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है। 

गणि पद्मविमलसागरजी ने आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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