कीजिए उस दिव्य पर्वत के दर्शन, जहां सूर्य की किरणें पड़ने से बनता है ‘ऊं’

कीजिए उस दिव्य पर्वत के दर्शन, जहां सूर्य की किरणें पड़ने से बनता है ‘ऊं’

aum parvat

ल्हासा। प्रकृति स्वयं में कई रहस्य समेटे है। जब इसके साथ श्रद्धा भी जुड़ जाती है तो वहां तर्क-वितर्क काम नहीं आते। हर साल हमारे देश से कई श्रद्धालु कैलास-मानसरोवर जाकर भगवान भोलेनाथ की स्तुति करते हैं। वहीं एक स्थान ऐसा भी है जहां सूर्य की​ किरणें पड़ने से ‘ऊं’ की आकृति बनती है। लोग इस स्थान पर बनी इस आकृति को नमन करते हैं, उसकी तस्वीरें भी लेते हैं।

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यही कारण है कि इंटरनेट पर इसकी कई तस्वीरें मौजूद हैं। अब यह स्थान ‘ऊं’ पर्वत के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। इसे लिटिल कैलाश, आदि कैलास और जोंगलिंगकोंग भी कहा जाता है। यह भारतीय-तिब्बत सीमा के निकट है। ‘ऊं’ पर्वत पर बर्फ पड़ती है। उसके बाद जब इससे सूर्य की किरणें टकराती हैं तो यह ‘ऊं’ चमकने लगता है।

हिंदुओं के अलावा स्थानीय बौद्ध भी यहां आते हैं। वे इस स्थान को अत्यंत पवित्र मानते हैं। जब भारत से श्रद्धालु कैलास-मानसरोवर जाते हैं तो लिपुलेख दर्रे के नीचे शिविर से यह आसानी से देखा जा सकता है। प्रात: काल जब सूर्य की किरणें इस पर्वत से टकराती हैं तो ऊं की आकृति अपने पूरे स्वरूप में चमकने लगती है। उसके साथ ही श्रद्धालु भगवान शिव के जयकारे लगाने लगते हैं।

इसके दर्शन के लिए धारचुला का रास्ता उपयुक्त माना जाता है। उससे आप प्रात: ऊं के दर्शन कर सकते हैं। वैसे तो इस घटना के पीछे वैज्ञानिक कारण गिनाए जाते हैं, लेकिन श्रद्धालुओं का मानना है ​कि हर सुबह सूर्यदेव यहां शिवजी को नमन करने आते हैं और ऊं के रूप में भगवान अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस वजह से कैलास-मानसरोवर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह स्थान बहुत महत्व रखता है।

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