ऑनलाइन मनी गेमिंग पर कानून लाकर सरकार ने किया श्रेष्ठ कार्य: आचार्य विमलसागरसूरी

'जुआ खेलने की आदत पड़ जाने के बाद बच्चे झूठ बोलते हैं, चोरियां करते हैं'

ऑनलाइन मनी गेमिंग पर कानून लाकर सरकार ने किया श्रेष्ठ कार्य: आचार्य विमलसागरसूरी

'लोग किसी भी जाति-वर्ग के हों, जुआ सभी के लिए अहितकारी है'

गदग/दक्षिण भारत। शनिवार को राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में पार्श्वनाथ सभागृह में पर्युषण के चौथे दिन आचार्य विमलसागरसूरीश्वर जी ने कहा कि तकनीकी विकास के इस युग में ऑनलाइन मनी गेमिंग का चलन खतरनाक तरीके से बढ़ गया है। मोबाइल में अनेक ऐसे एप्लिकेशन और उनके विज्ञापन उपलब्ध हैं जो बालक-बालिकाओं को क्या, युवावर्ग को भी बहुत ललचाते हैं। 

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वे उन्हें जुआ खेलने के लिये प्रेरित करते हैं। हमारे सेलिब्रेटी धन से खुद का घर भरने के लिए जुए के विज्ञापन करते हैं। हमारे नौनिहालों की जिंदगी में प्रविष्ट हो रही यह बुरी आदत उनके उज्ज्वल भविष्य की संभावनाओं को समाप्त कर रही है। इस ऑनलाइन मनी गेमिंग से प्रतिदिन हजारों जिंदगियां और उनके परिवार बर्बाद होते जा रहे हैं। 

जुआ खेलने की आदत पड़ जाने के बाद बच्चे झूठ बोलते हैं, चोरियां करते हैं। वे कीमती सामान सस्ते में बेचकर जुआ खेल लेते हैं। स्कूल-कॉलेज के आसपास हमारी नई पीढ़ी को तबाह करने का षड्यंत्र एक बहुत बड़े रैकेट की तरह कार्यरत है। दिनोंदिन यह बढ़ता ही जा रहा है। अधिकांश माता-पिता और अभिभावक इन षड्यंत्रों से पूरी तरह अनजान हैं। 

काफी नुकसान के बाद ही उन्हें पता चल रहा है। अब केंद्र सरकार ने कठोर कानून बनाकर ऑनलाइन मनी गेमिंग की इस समाज विरोधी प्रवृत्ति को पूरी तरह प्रतिबंधित करने का निर्णय किया है। यह सरकार का अत्यंत सराहनीय कार्य है। लोग किसी भी जाति-वर्ग के हों, जुआ सभी के लिए अहितकारी है।

जैनाचार्य विमलसागरसूरी जी ने कहा कि बालकों को तब तक कोई कीमती वस्तु हाथ में नहीं देनी चाहिए, जब तक कि उन्हें उस वस्तु का मूल्यांकन पता न हो। जब बिना मेहनत के बच्चों के हाथों में सरलता से पैसे आ जाते हैं तो उनका दुरुपयोग भी होने लग जाता है। बच्चों को पहले यह पता चलना चाहिए कि कितने परिश्रम और संघर्ष के बाद पैसे कमाए जाते हैं। तब वे समझेंगे कि पैसों को कितना और कहां खर्च करना है। यही व्यवस्था हमारी नई पीढ़ी को सुरक्षित रख सकती है। 

नीति शास्त्र कहता है कि लोग बिना परिश्रम के प्राप्त वस्तु की कीमत नहीं समझते। वे उसका आसानी से दुरुपयोग कर लेते हैं। बिना परिश्रम के मिल रहा पैसा बालकों को बिगाड़ रहा है। वह उन्हें गलत रास्तों पर ले जा रहा है। इस प्रकार बालकों के पतन में परोक्ष रूप से अभिभावकों की भी भूमिका है। ज्ञात रहे कि जब तक परिपक्वता और जिम्मेदारी का भान नहीं होता, तब तक मिली हुई शक्तियां और सुविधाएं मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले ही जाती हैं।

गणि पद्मविमलसागरजी ने बताया कि पर्युषण महापर्व के चौथे दिन विजयकुमार हीराचंद बाफना परिवार ने सकल संघ की उपस्थिति में आचार्य विमलसागरसूरीश्वर जी को धर्मशास्त्र कल्पसूत्र अर्पित किया। संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि तपस्या के तीसरे चरण में यहां करीब 250 से अधिक श्रद्धालु तप साधना कर रहे हैं।

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