लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री ने कोच्चि में एक कार्यक्रम को संबोधित किया

लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है: अमित शाह

Photo: amitshahofficial FB Page

कोच्चि/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को केरल के कोच्चि में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम आर्थिक दृष्टि से अस्थिरता का शिकार थे। अटलजी भारत की अर्थव्यवस्था को 11वें नंबर पर छोड़कर गए थे। मनमोहन सिंह ने इसे स्थिर रखा, 11वें नंबर से 12वें नंबर पर नहीं गए। बीते 11 वर्षों में मोदी ने 11वें नंबर से भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया।

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अमित शाह ने कहा कि जब तक हम शिखर पर नहीं पहुंचते, महान भारत की रचना नहीं करते, आराम करने का अधिकार किसी को नहीं है। जब आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया था, मोदी ने लक्ष्य रखा था कि 75 से 100 साल की इस यात्रा के दौरान 140 करोड़ देशवासियों को परिश्रम की पराकाष्ठा करनी है और देश को दुनिया में हर क्षेत्र में शिखर पर पहुंचाना है।

अमित शाह ने कहा कि विपक्ष (कांग्रेस) के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था। अगर ऐसा न किया गया होता, तो उग्रवाद साल 2020 तक समाप्त हो गया होता। केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है, उग्रवाद को भी सहा है।

अमित शाह ने कहा कि केरल की जनता जरूर देखेगी कि वामपंथियों के दबाव में कांग्रेस ने किस तरह से ऐसे प्रत्याशी का चयन किया है, जिसने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने के लिए उच्चतम न्यायालय जैसे मंच का उपयोग किया।

अमित शाह ने कहा कि अभी एक घटना हुई— दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे। तो संविधान बदलना चाहिए या नहीं बदलना चाहिए? अब तक भाजपा की सरकार थी, लेकिन हमने नहीं बदला क्योंकि जरूरत नहीं पड़ी। अगर केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया होता, तो आज भी जरूरत नहीं होती।

अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है। यह बिल किसी पार्टी के लिए नहीं है। यह बिल भाजपा के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा और प्रधानमंत्री पर भी लागू ​होगा।

अमित शाह ने कहा कि क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी प्रधानमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? अब ये लोग कहते हैं कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान पहले क्यों नहीं हुआ? अरे, जब संविधान बना था, तब ऐसे निर्लज्ज लोगों की कल्पना ही नहीं की गई थी कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे। 70 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी। कई मंत्री और मुख्यमंत्री जेल गए थे, और जेल जाने से पहले सबने इस्तीफा दे दिया था।

अमित शाह ने कहा कि अगर एसआईआर से कोई भी नागरिक या राजनीतिक पार्टी संतुष्ट नहीं है, तो वे असेंबली के रिटर्निंग ऑफिसर, जिला कलेक्टर और राज्य के चीफ इलेक्शन ऑफिसर के सामने अपील कर सकते हैं। सड़क पर राहुल गांधी यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन आज तक कांग्रेस पार्टी ने शिकायत के लिए बनाए गए किसी भी फोरम पर एक भी शिकायत दर्ज नहीं की है। शिकायत किए बिना जनता के बीच संदेह पैदा करना— मैं मानता हूं, इस तरह की राजनीति से बिहार की जनता और देश की जनता अनजान है।

अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी जब से कांग्रेस के मुखिया बने हैं, तब से संवैधानिक संस्थाओं को शक के दायरे में लाने का प्रयास कर रहे हैं। अभी एसआईआर हो रहा है। यह साल 2003 में भी हुआ था, 1961 में भी हुआ था और 1970 में भी हुआ था। तो अब समस्या क्या है?

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