केरल: प्रधानमंत्री ने विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह राष्ट्र को समर्पित किया
बंदरगाह का निर्माण 8,800 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है

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तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तिरुवनंतपुरम में विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज भगवान आदि शंकराचार्य की जयंती है। तीन वर्ष पूर्व सितंबर में मुझे उनके जन्मभूमि क्षेत्र में जाने का सौभाग्य मिला था। केरल से निकलकर देश के अलग-अलग कोनों में मठों की स्थापना करके आदि शंकराचार्य ने राष्ट्र की चेतना को जाग्रत किया था। इस पुनीत अवसर पर, मैं उन्हें नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बंदरगाह का निर्माण 8,800 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है और निकट भविष्य में इसके ट्रांसशिपमेंट हब की क्षमता तीन गुनी हो जाएगी। इसे बड़े मालवाहक जहाजों को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करता है।प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तक भारत की 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट गतिविधियां विदेशी बंदरगाहों पर संचालित की जाती थीं, जिसके परिणामस्वरूप देश को राजस्व का बड़ा नुकसान होता था। हालांकि, इसमें बदलाव आने वाला है। पहले विदेशों में खर्च की जाने वाली धनराशि अब घरेलू विकास में लगाई जाएगी, जिससे विझिंजम और केरल के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा होंगे और यह सुनिश्चित होगा कि देश की संपत्ति का सीधा लाभ उसके नागरिकों को मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी से पहले हमारे भारत ने हजारों वर्ष की समृद्धि देखी है। एक समय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में मेजर शेयर भारत का हुआ करता था। उस दौर में हमें जो चीज दूसरे देशों से अलग बनाती थी, वो थी समुद्री क्षमता, हमारी पोर्ट सिटी की आर्थिक गतिविधि। केरल का इसमें बड़ा योगदान था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने, राज्य सरकार के सहयोग से सागरमाला परियोजना के तहत पोर्ट आधारभूत संरचना को अपग्रेड किया है, पोर्ट कनेक्टिविटी को भी बढ़ाया है। पीएम-गतिशक्ति के तहत जलमार्ग, रेलवे, राजमार्ग और एयरवेज की इंटर कनेक्टिविटी को तेज गति से बेहतर बनाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदरगाह अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का एहसास तब होता है, जब बुनियादी ढांचे के विकास और व्यापार करने में आसानी को प्राथमिकता दी जाती है और बढ़ावा दिया जाता है। पिछले एक दशक में, यह दृष्टिकोण सरकार की बंदरगाह और जलमार्ग नीतियों की आधारशिला रहा है। औद्योगिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने और राज्य के समग्र विकास को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिलकर सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण किया है और बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय सुधार किया है। इसके अतिरिक्त, पीएम-गतिशक्ति पहल के तहत जलमार्ग, रेलवे, राजमार्ग और वायुमार्गों की अंतर्संबंधता बढ़ाने के प्रयास तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। कारोबार को आसान बनाने के लिए किए गए सुधारों से बंदरगाहों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अधिक निवेश को बढ़ावा मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने देश के नाविकों के लाभ के लिए महत्त्वपूर्ण सुधार लागू किए हैं, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। साल 2014 में भारत में नाविकों की संख्या 1.25 लाख से भी कम थी। हालांकि, अब यह संख्या बढ़कर लगभग 3.25 लाख हो गई है। परिणामस्वरूप, भारत वर्तमान में दुनियाभर में सबसे अधिक नाविकों वाले शीर्ष तीन देशों में शुमार है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दशक की कड़ी मेहनत और दूरदर्शी योजना ने भारत की उल्लेखनीय सफलता में योगदान दिया है। पिछले 10 वर्षों में, हमने अपने बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना कर दिया है और अपने जलमार्गों का आठ गुना विस्तार किया है। आज, हमारे दो बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 30 बंदरगाहों में शुमार हैं। इसके अतिरिक्त, लॉजिस्टिक्स परफॉरमेंस इंडेक्स पर हमारी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारत अब गर्व से वैश्विक जहाज निर्माण में शीर्ष 20 देशों में शामिल है। बुनियादी ढांचे का निर्माण सीधे तौर पर व्यापार को बढ़ाने में योगदान देता है और आम नागरिक की बुनियादी जरूरतों को पूरा करता है - यही सच्चे विकास का सार है।