पाकिस्तानी फौज ने सोचा तक नहीं था, वहां हमारी सेना ने आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया: मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध नहीं चलेगा

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भोपाल/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तीकरण महासम्मेलन में शिरकत की और कई विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं मां भारती को, भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती है। यह 140 करोड़ भारतीयों के लिए प्रेरणा का अवसर है। राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भगीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है।प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई कहती थीं कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है, दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर इन सभी कामों के लिए पूरे मध्य प्रदेश को बहुत बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों न हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 250-300 साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, यह कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था। लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा को कभी अलग नहीं माना। कहते हैं कि वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज था, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेक मंदिरों का, तीर्थों का पुनर्निर्माण किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटी-छोटी नहरों का जाल बिछाया, उसे विकसित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उस जमाने में जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए। आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं कि कैच द रैन यानी बारिश के पानी की एक-एक बूंद को बचाओ। देवी अहिल्याबाई ने 250-300 साल पहले हमें यह काम बताया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली माता अहिल्याबाई को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं और उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप जहां भी हों, हम पर अपना आशीर्वाद बनाएं रखें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देवी अहिल्याबाई का एक प्रेरक कथन है। उसका भाव यही था कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया गया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मंत्रों ओर चलते हुए कार्य कर रही है। 'नागरिक देवो भवः' यह आज गवर्नेंस का मंत्र है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जितने भी हमारे बड़े अंतरिक्ष अभियान हैं, उनमें बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं। चंद्रयान-3 मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। सिंदूर हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। रामभक्ति में रंगे हनुमानजी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून नहीं बहाया। उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है, हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। सबसे बड़ी बात आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चुनौती आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की फौज ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेना ने मिट्टी में मिला दिया। सैकड़ों किमी अंदर घुसकर मिट्टी में मिला दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध नहीं चलेगा, अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है कि अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलो कि गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।
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