'ऑपरेशन सिंदूर' के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचार की पाकिस्तानी पत्रकार ने ही खोल दी पोल
अवैस इक़बाल बोले- 'भारत की कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों के रिश्तेदार'

Photo: @AwaisIqbal_Opinion YouTube Channel
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई के बाद एक ओर जहां इस पड़ोसी देश ने दुष्प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है, वहीं उसके ही एक पत्रकार ने पूरी पोल खोल दी है।
अवैस इक़बाल नामक ये पत्रकार अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं, जिस पर एक वीडियो में पाकिस्तानी एंकर जी.ए. राना यह दुष्प्रचार करते नजर आते हैं कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर उनके मुल्क की मस्जिदों और आम नागरिकों को निशाना बनाया था। राना कहते हैं कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उसके नतीजे में चार बड़ी मस्जिदों पर हमले हुए थे। मैंने (मीडिया में प्रकाशित) आलेख पढ़े थे कि आम नागरिक भी मारे गए हैं।इस पर अवैस इक़बाल कहते हैं, 'अगर भारत को पाकिस्तान की मस्जिदों पर हमला करना होता तो वह बादशाही मस्जिद, लाहौर पर करता, जिसे सब जानते हैं। वह फैसल मस्जिद, इस्लामाबाद पर हमला करता। पाकिस्तान की बड़ी-बड़ी इबादतगाहों को निशाना बनाता। भारत की ओर से ऐसा नहीं किया गया। उसने कहां हमला किया? बहावलपुर की मस्जिद-ए-सुब्हान पर, मुरीदके की उम्म-अल कुरा पर, मुजफ्फराबाद की मस्जिद-ए बिलाल पर। आप इन्हें मस्जिदें कहकर आम पाकिस्तानियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। ये मस्जिदें नहीं थीं। ये आतंकवाद के केंद्र थे। ये मसूद अजहर, हाफिज सईद के गढ़ थे, हिज्बुल मुजाहिदीन के गढ़ थे।
अवैस इक़बाल ने कहा, 'इनके अंदर जिन नागरिकों की मौत हुई, वे सारे उन आतंकवादियों के रिश्तेदार थे। उसमें एक बड़ा उदाहरण मसूद अजहर के भाई रऊफ अजहर का है, जो डेनियल पर्ल के कत्ल में शामिल था। आप तक यह बात भी पहुंची होगी! आपके पाकिस्तान के अंदर आतंकवादियों के छिपने के ठिकाने हों, जकीउर्रहमान लखवी पीओके में जलसा करते हुए मुंबई हमलों की जिम्मेदारी कबूल करे, पठानकोट हमले के बाद आपके अफसर भारत जाएं, उसके बाद पाकिस्तानी अदालतें उन आतंकवादियों को क्लीन चिट दे दें, तो फिर आपका पड़ोसी देश क्या करेगा? आपने हाफिज सईद को मस्जिद उम्म-अल कुरा के अंदर बैठाया हुआ है, लाहौर में मस्जिद अल कासिया के बाहर लोग मशीन गन लेकर बैठे हैं! पाकिस्तान के लोगों को आईएसपीआर गुमराह करती है।
उन्होंने कहा, 'यह बताइए कि सात साल का लड़का इर्तज़ा जो एक कर्नल का बेटा था, वह हिज्बुल मुजाहिदीन के कैंप में क्यों रह रहा था? इसका मतलब यह है कि पाकिस्तानी फौज इन नॉन स्टेट एक्टर्स को पनाह और सुरक्षा दे रही है। जब पहलगाम हमला हुआ था तो सबसे पहली जिम्मेदारी किसने कबूल की थी? द रेजिस्टेंस फ्रंट ने कबूल की थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। इन लोगों से हम पाकिस्तानी पीछा नहीं छुड़वाएंगे तो आप कैसे कह सकते हैं कि हमारा आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है?'
इसके बाद जी.ए. राना दोबारा 'बच्चों की मौत' का मामला उठाते हैं, जिस पर अवैस इक़बाल कहते हैं, 'ये जो लोग मारे गए हैं, क्या ये घोषित आतंकवादियों के रिश्तेदार नहीं थे? ये मसूद अजहर, हाफिज सईद, हिज्बुल मुजाहिदीन से संबंध रखने वालों के रिश्तेदार नहीं थे? क्या उनको इसलिए निशाना नहीं बनाया गया कि ये आतंकवादियों के ठिकाने हैं? अगर पाकिस्तान के आम नागरिकों को ही मारना होता तो भारत ने किसी स्कूल और कॉलेज पर हमला क्यों नहीं किया? पाकिस्तान का अतीत खौफनाक है। मुझे बताइए कि भारतीय संसद पर हमला किसने किया था? भारतीय विमान (आईसी 814) का अपहरण किसने करवाया था? पाकिस्तान का तो पूरा इतिहास है। जब इतना लंबा आपका इतिहास है तो कैसे कह सकते हैं कि आपका पड़ोसी यह चुनेगा बैठकर कि यहां मिसाइल नहीं मारनी? यह प्रतिशोध की कार्रवाई थी।'