पीओके: खोलना होगा निजात का रास्ता

ज्यादातर पाकिस्तानियों को 'गुरु दक्षिणा' के बारे में कुछ पता ही नहीं है

पीओके: खोलना होगा निजात का रास्ता

पीओके को वापस लेने के लिए संसद का ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव पहले से मौजूद है

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को 'गुरु दीक्षा' देकर जो 'गुरु दक्षिणा' (पीओके) मांगी, उससे पूरे पाकिस्तान में डर का माहौल है। यह डर होना चाहिए। अपने इतिहास और संस्कृति को पूरी तरह भुलाकर एक विचित्र मानसिकता को ढोने वाले ज्यादातर पाकिस्तानियों को 'गुरु दक्षिणा' के बारे में कुछ पता ही नहीं है! वे इसे ऑनलाइन सर्च कर रहे हैं। यह वो धरती थी, जिस पर कभी महान गुरुओं के चरण पड़े थे। तक्षशिला विश्वविद्यालय के गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करने के लिए विदेशों से विद्यार्थी आते थे। पाकिस्तान में ऐसे लोगों की बहुत बड़ी तादाद है, जिन्हें सिंदूर के बारे में भी कुछ मालूम नहीं है। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में कभी-कभार यह शब्द सुन रखा था। जैसे ही 'ऑपरेशन सिंदूर' का नाम सामने आया, पाकिस्तानी पूरी तरह भ्रमित हो गए। उन्हें लगा कि यह किसी घातक हथियार का नाम होगा! वे इसके बारे में सर्च करने लगे। अपने पूर्वजों, अपने इतिहास, अपनी संस्कृति और अपनी जड़ों से रिश्ता खत्म करने वालों की यही दुर्दशा होती है। ऐसे लोग अपनी काल्पनिक दुनिया में जीते हैं और विदेशों से आयातित विचारों को अंतिम सत्य मानकर उनका अंधानुकरण करने में ही गर्व महसूस करते हैं। इन घटनाओं पर चर्चा करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश में पीओके को लेकर यह विचार मजबूत होता जा रहा है कि अब और देर नहीं करनी चाहिए, पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले उस इलाके को भारत में मिला लेना चाहिए। पीओके को वापस लेने के लिए संसद का ध्वनिमत से पारित प्रस्ताव पहले से मौजूद है। हमारे सशस्त्र बल जब उचित समझेंगे, उस प्रस्ताव को साकार कर दिखाएंगे। याद रखें, आज पीओके में जो आबादी बसी हुई है, उसमें एक हिस्सा उन लोगों का भी है, जो 'गुरु दक्षिणा' और 'सिंदूर' के बारे में कुछ नहीं जानते। शारदा पीठ की धरती पर रहने वाले इन लोगों का आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने ब्रेनवॉश कर दिया है।

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जब पीओके को भारत में मिलाने की बात होती है तो हमें इस पहलू पर भी चर्चा करनी चाहिए। पाकिस्तान ने उस इलाके पर अवैध कब्जा करने के बाद डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव करने शुरू कर दिए थे। उसने अपने पंजाब प्रांत से बहुत लोगों को लाकर पीओके में बसाया था। जब कभी पाकिस्तानी यूट्यूबर वहां जाकर लोगों से बातचीत करते हैं तो वीडियो में लहजे पर गौर कीजिए। पाकिस्तानी पंजाबी का असर साफ महसूस होगा। उनके मन में भारत और हिंदुओं के प्रति सबसे ज्यादा नफरत होती है। भविष्य में पीओके को भारत में मिलाने की स्थिति में ऐसे लोग हमारे देश की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। इनकी छंटनी करने के लिए अभी से कोई योजना तैयार रखनी चाहिए। उसमें कश्मीरी भाषा, संस्कृति, खानपान, पहनावा जैसे बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है, जिनके आधार पर पाकिस्तानी पंजाबियों को अलग करने में आसानी होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सत्य कहा है कि 'पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग हमारे अपने हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं।' जब पीओके को लेने की बात होती है तो वहां रहने वाले कश्मीरियों को उससे अलग नहीं किया जा सकता। उनका इस धरती से गहरा रिश्ता है। रक्षा मंत्री के ये शब्द कि 'हम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हमारे जो भाई आज भौगोलिक और राजनीतिक रूप से हमसे अलग हैं, वे भी किसी न किसी दिन अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर, आत्मसम्मान के साथ भारत की मुख्य धारा में लौट आएंगे', आशावादी नजरिए को बयान करते हैं। आज पीओके में बहुत लोग उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब उनकी धरती पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया था। वे भारत का हिस्सा बनकर उससे निजात पाना चाहते हैं। इसके लिए पाकिस्तानी फौज, आईएसआई और आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई का आगाज उन्हें खुद ही करना होगा। उससे निजात का रास्ता खुलेगा।

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