मंत्रों का स्तवन आत्मा के लिए एक अजेय रक्षा कवच है: साध्वीश्री संयमलता

भक्ति का प्राणतत्त्व है मंत्रों की आराधना

मंत्रों का स्तवन आत्मा के लिए एक अजेय रक्षा कवच है: साध्वीश्री संयमलता

मंत्र हमारे व्यक्तित्व को पवित्र एवं प्रभावशाली बनाते हैं

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। साध्वीश्री संयमलताजी के सान्निध्य में राइज एवं साइन’ अनुष्ठान का आयोजन राजराजेश्वरीनगर के तेरापंथ भवन में हुआ। सूर्य के समान तेजस्वी बनने हेतु नमस्कार महामंत्र से शुभारंभ करते हुए साध्वीश्री संयमलताजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति भक्ति प्रधान संस्कृति है। भक्ति का प्राणतत्त्व है मंत्रों की आराधना।

Dakshin Bharat at Google News
मंत्रों का एक-एक अक्षर ऊर्जा, समृद्धि एवं रोग निवारक होता है। मंत्रों का स्तवन आत्मा के लिए एक अजेय रक्षा कवच है। सारे मनोरथों को सिद्ध करने वाला एवं भक्त को भगवान बनाने की क्षमता रखने वाला है। मंत्रों की साधना से दुःख, क्लेश, रोग, शोक, दरिद्रता आदि सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

साध्वी मार्दवश्रीजी ने अनुष्ठान में 'ॐ’ प्रलम्ब उच्चारण करवाते हुए सभा सदन को मंत्रों की तरंगो से तरंगित किया। स्वयं को ऊर्जावान एवं तेजस्वी बनाने हेतु मुद्रा विज्ञान, स्वर विज्ञान के साथ अनेक मंत्रों का लयबद्धता के साथ जप करवाया। 

उन्होंने कहा कि मंत्र हमारे व्यक्तित्व को पवित्र एवं प्रभावशाली बनाते हैं। यह अनुष्ठान हमें आध्यात्मिक ऊर्जा, समृद्धि व वैभव से परिपूर्ण बनाने वाला सिद्ध हो। 

प्रसिद्ध गायक मनीष पगारिया एवं गुलाब बाँठिया ने मंगलाचरण किया। सभा के अध्यक्ष राके छाजेड़ ने साध्वीवृन्द के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। इस मौके पर तेरापंथी महासभा के प्रकाश लोढ़ा की उपस्थिति थी। संयोजन मंत्री गुलाब बाँठिया ने किया।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download