मद्रास उच्च न्यायालय ने ट्रेन दुर्घटना पीड़ितों को राहत दी

मद्रास उच्च न्यायालय ने ट्रेन दुर्घटना पीड़ितों को राहत दी

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भारतीय रेलवे। फोटो स्रोत: PixaBay

चेन्नई/दक्षिण भारत। मद्रास उच्च न्यायालय ने इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (ईएमयू) से जुड़े हादसों में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिवारों को मुआवजा देने से इंकार करने पर रेलवे को लताड़ा है।

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एक 38 वर्षीया महिला के परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने रेलवे ट्रिब्यूनल के आदेश को खारिज कर दिया जो 2014 में चेन्नई में एक ईएमयू ट्रेन से गिरने के बाद हता​हत हो गई थी।

उच्च न्यायालय ने रेलवे को 8 लाख रुपए और 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ पैसे देने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने रेलवे को 12 हफ्तों का वक्त दिया है।

उच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा कि अकेले मृतक पर लापरवाही का आरोप नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि रेलवे ईएमयू यात्रियों, विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं, जो पूरी तरह से इस तरह की ट्रेनों पर निर्भर हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करने में उतना ही जिम्मेदार है।

न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यन ने कहा कि यह बताना दर्दनाक है कि भारतीय रेलवे के उच्च अधिकारियों को करदाताओं के पैसे से बहुत ही अच्छा वेतन मिल रहा है। इसलिए, उनसे अपेक्षा है कि वे अपने सार्वजनिक कर्तव्यों को उच्च जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ निभाएं।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक अधिकारियों से गरीब नागरिकों की स्थिति पर विचार करने की अपेक्षा की जाती है। ईएमयू ट्रेनों में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी चेन्नई सहित मेट्रो शहरों में यात्रा कर रही हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि घंटों की ड्यूटी के बाद, वे जल्द से जल्द घर तक पहुंचने के लिए इन ट्रेनों में सवार होने के लिए मजबूर होते हैं। वे अपने बच्चों और परिवार की देखभाल भी करते हैं, और घर पहुंचने में देरी से उन्हें अपने परिवार के लिए कठिनाई होती है। इस दबाव के साथ, अधिक महिला यात्रियों को ईएमयू ट्रेनों में खड़े रहकर यात्रा करनी पड़ती है।

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