कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
'विद्यार्थी जगत की स्थिति तो बहुत विचित्र है'
'आज का युवा बहुत जल्दी हताश और निराश भी हो रहा है'
गदग/दक्षिण भारत। स्थानीय राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के तत्वावधान में बुधवार को जीरावला पार्श्ववनाथ सभागृह में धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीजी ने कहा कि समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता। आधुनिक समाज में सफलताओं को लेकर ऊहापोह और अपेक्षाएं बहुत अधिक हैं। सभी को बहुत कुछ पाने की चाह है, जबकि ज्यादातर लोगों में परिश्रमशीलता का अभाव है।
सबको कम मेहनत में अधिक से अधिक प्राप्त करना है, जबकि ऐसा कभी होता नहीं। विद्यार्थी जगत की स्थिति तो बहुत विचित्र है। अधिकांश किशोर व युवावर्ग को घूना-फिरना, मजाक-मस्ती, नाच-गाना, खाना-पीना, खेल और सोशल मीडिया में समय बरबाद करना अच्छा लगता है।फिर पढ़ाई में मन बहुत कम ही लगता है। बावजूद इसके उनकी चाह अंतहीन है। उन्हें वह सब-कुछ चाहिए, जो बाजार और विज्ञापनों में दिखता है। आज का युवा बहुत जल्दी हताश और निराश भी हो रहा है। कम सुविधाओं के बीच अधिक परिश्रम कर सफल होने की सोच ही उनकी विचारधारा में नहीं है। जिन्हें थोड़ा भी कुछ कम मिलता है, वे गुस्सैल हो रहे हैं अथवा मनोरोग के शिकार बनकर जीवन तबाह कर रहे हैं।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि चाहे व्यावहारिक जगत हो या आध्यात्मिक, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जीवन की उन्नति के लिए सही मार्ग और अथक पुरुषार्थ चाहिए। सद्विचारों और सत्कार्यों से मनुष्य अपने सद्भाग्य का निर्माण स्वयं करता है। हमारा वर्तमान हमारे भूतकाल का प्रतिफलन है। उसी प्रकार हमारा भविष्य हमारे वर्तमान का प्रतिफल होगा। किसी को भी किसी बात का दोष देना गलत है। निमित्त कोई भी हो सकता है, मूल कारण तो हम स्वयं ही हैं।
संघ के अध्यक्ष पंकज बाफना ने बताया कि बुधवार को धर्मसभा में चेन्नई, बेंगलूरु, हिरियूर, चलकेरे, हुब्बली, धारवाड़, गंगावती आदि अनेक संघों के पदाधिकारी विशेष रूप से उपस्थित थे। गणि पद्मविमलसागरजी ने सामूहिक तपोत्सव के सभी तपस्वियों को मंत्रपाठ कर आशीर्वाद देते हुए प्रतिज्ञा दी।


