कैसे दें बड़बोले ट्रंप को जवाब?

'वोकल फॉर लोकल' को गंभीरता से अपनाना ही होगा

कैसे दें बड़बोले ट्रंप को जवाब?

ट्रंप टैरिफ और जुर्माने का डर दिखाकर क्या साबित करना चाहते हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश कि 'अब हम उन वस्तुओं को खरीदेंगे, जिन्हें बनाने में किसी न किसी भारतीय का पसीना बहा है', भारत के करोड़ों लोगों तक पहुंच गया है। इसकी गूंज व्हाइट हाउस तक भी पहुंच गई होगी, जिसमें बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आजकल नए-नए शिगूफे छोड़ रहे हैं। उनका मिज़ाज पुरानी हिंदी फिल्मों के उस खलनायक की तरह है, जो अपनी दौलत और ताकत के घमंड में सब पर नियंत्रण स्थापित करना चाहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति टैरिफ और जुर्माने का डर दिखाकर क्या साबित करना चाहते हैं? क्या वे यह मान बैठे हैं कि भारत उनकी हर बात को स्वीकार कर लेगा? उनके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में की गई टिप्पणी अत्यंत निंदनीय है। ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रंप ने हमारी अर्थव्यवस्था के बजाय पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का ग्राफ देख लिया था! भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। आश्चर्य की बात है कि भारत के कुछ नेता ट्रंप के सुर में सुर मिला रहे हैं! उन्हें ऐसा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार नहीं करना चाहिए। जब कोई विदेशी शख्स हमारे देश के बारे में अनर्गल बयानबाजी करे तो उसमें सियासी फायदा नहीं ढूंढ़ना चाहिए। बेहतर तो यह होगा कि हम एकजुट होकर उसे जवाब दें। इस समय हमें यही करने की जरूरत है। ट्रंप को जवाब सिर्फ मौखिक तौर पर नहीं देना चाहिए। हमें अपने कार्यों से जवाब देना होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को इतनी मजबूत बनाएं कि कोई हमें आंखें नहीं दिखा सके। हम अपनी शर्तों पर व्यापार कर सकें। इसके लिए स्वदेशी को बढ़ावा देना होगा।  

Dakshin Bharat at Google News
प्रधानमंत्री ने जिस तरह स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आह्वान किया है, वह वक्त की जरूरत है। यहां बड़ा सवाल गुणवत्ता का भी है। हालांकि उसमें सुधार हो रहा है। अब बाजारों में बेहतर स्वदेशी उत्पाद मिल रहे हैं। हमें अपने युवाओं को इस काबिल बनाना होगा कि वे अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान दें। इसकी शुरुआत स्कूली शिक्षा से होनी चाहिए। पांचवीं कक्षा के बाद पाठ्यक्रम में उद्योग-धंधों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को बदलते वैश्विक परिदृश्य में उद्योगों और अपनी क्षमताओं का ज्ञान होना चाहिए। उन्हें बाजार की जरूरतों, डिजिटल प्रचार, बिक्री आदि के बारे में समझाना चाहिए। उन्हें समय-समय पर खेतों, कारखानों आदि का भ्रमण कराना चाहिए। अब एआई एक बड़ी ताकत बनकर उभर रही है। यह भविष्य में किस तरह उद्योगों को प्रभावित करेगी, इससे कैसे गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है, कैसे उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, किस तरह विभिन्न समस्याओं का समाधान किया जा सकता है - जैसे सवालों के बारे में उचित जानकारी देनी चाहिए। युवाओं के मन से इस विचार को हटाना होगा कि 'पढ़ाई-लिखाई सिर्फ कुर्सी पर बैठकर नौकरी करने के लिए होती है।' आज इतने विकल्प हैं कि प्रशिक्षित युवा अपने क्षेत्रों में बहुत आगे बढ़ सकते हैं। किशोरों और युवाओं को कोरे आंकड़े न रटवाएं। उनके सामने लक्ष्य रखें कि जब देश की आज़ादी के सौ साल पूरे होंगे तो हमारी अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी होनी चाहिए। क्या हम इसके लिए तैयार हैं? ट्रंप जिस तरह टैरिफ और जुर्माने की घोषणाएं कर रहे हैं, वह किसी धमकी से कम नहीं है। अगर हमारी सरकारों ने पांच दशक पहले दूरदर्शिता दिखाते हुए देश में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया होता तो आज अमेरिकी राष्ट्रपति के शब्द कुछ और होते। हमें अब 'वोकल फॉर लोकल' को गंभीरता से अपनाना ही होगा।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download