सोशल मीडिया 'एक भ्रमजाल' नुक्कड़ नाटक की हुई प्रस्तुति

नाटक को बड़ी संख्या में लोगों ने सराहा

सोशल मीडिया 'एक भ्रमजाल' नुक्कड़ नाटक की हुई प्रस्तुति

सोशल मीडिया की उलझनों के बारे में बताया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के जिनकुशलसूरी जैन दादावाड़ी ट्रस्ट बसवनगुड़ी के तत्वावधान में चातुर्मास हेतु विराजित संतश्री मलयप्रभसागरजी और साध्वी हर्षपूर्णाश्रीजी की निश्रा और मार्गदर्शन में सोशियल मीडिया के जाल में भ्रमित होती आज की युवा पीढ़ी को समझाने हेतु 'सोशल मीडिया - एक भ्रमजाल’ नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। 

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जैन मन्दिर के तत्वावधान में सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के अन्तर्गत प्रथम बार युवा पीढ़ी के लिए यह नुक्कड़ नाटक आयोजित किया गया। इसमें अनेक किशोर, लड़कोंं और लड़कियों ने जीवंत दृश्यों के माध्यम से सोशल मीडिया की उलझनों और उसके दुष्परिणामों के बारे में बताया।

मलयप्रभ सागरजी ने कहा कि युवा पीढ़ी का बहुत ही कीमती समय रील्स बनाने और उसे देखने में व्यतीत हो रहा है। हमें सोशल मीडिया से धर्म की प्रचार सामग्री और हमारे काम आने वाले महत्वपूर्ण जानकारियां तो लेनी चाहिए, लेकिन व्यर्थ में इसके पीछे पूरे दिन समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। 

सोशल मीडिया के कई दुष्प्रभाव हैं, जिनमें लत, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, गलत सूचना का प्रसार, और गोपनीयता का खतरा, सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से चिंता, अवसाद, और अकेलेपन की भावना बढ़ सकती है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर लगातार दूसरों से अपनी तुलना करने से आत्म-सम्मान में कमी आ सकती है। 

इसके अधिक उपयोग से नींद की समस्या, आंखों में थकान, और शारीरिक गतिविधि में कमी हो सकती है। सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने से वास्तविक दुनिया में लोगों से कम मिलना - जुलना हो सकता है, जिससे सामाजिक संबंध कमजोर हो सकते हैं। 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हमारी निजी जानकारी साझा करने से गोपनीयता का खतरा बढ़ जाता है और इसका उपयोग गलत कामों के लिए भी किया जा सकता है। नुक्कड़ नाटक की पटकथा और कार्यक्रम में तनिष्क सांखला, स्वाति गुलेच्छा आदि सदस्यों का सहयोग रहा।

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