मत विभाजन के लिए ओवैसी से गठबंधन कर सकती है भाजपा : सिद्दरामैया

मत विभाजन के लिए ओवैसी से गठबंधन कर सकती है भाजपा : सिद्दरामैया

बेंगलूरु। मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने सोमवार को कहा कि इस वर्ष अप्रैल-मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को विभाजित करने के लिए भाजपा ओवैसी की पार्टी के साथ भी समझौता कर सकती है। यहां संवाददाताओं से बात करते हुए जब उनसे भाजपा के ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि पूर्व में भी भाजपा ने मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं को लुभाने के लिए इस तरह का गठबंधन किया था और भाजपा का एक मात्र मकसद मतदाताओं को विभाजित करना था। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने इस प्रकार का गठबंधन किया था। हालांकि भाजपा की इस प्रकार की पहल कर्नाटक में कांग्रेस को दोबारा सत्ता में आने से नहीं रोक सकती है।संवाददाता सम्मेलन में मौजूद राज्य के गृहमंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी दल के साथ गठबंधन करने नहीं जा रही है चाहे वह ओवैसी की पार्टी हो या कोई अन्य संगठन। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिना किसी दूसरे दल के साथ गठबंधन किए हुए चुनाव में उतरेगी और हमें भरोसा है कि हम राज्य की सत्ता में दोबारा लौटेंगे, भले ही भाजपा ओवैसी की पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन कर ले। ·र्ैंद्मय्श्चट्ट·र्ैं ·र्ष्ठैं द्बरुफ्यद्बय्द्मह्र झ्द्य द्मब्र्‍्र ब्ह्ख्य् ृय्ष्ठप्स्फ्र्‍ ·र्ैंय् ृफ्द्य दृ ज्द्बर्‍द्यगौरतलब है कि हाल में हैदराबाद से लोकसभा सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव में १५० सीटों पर चुनाव ल़डेगी। जनता दल (एस) से बागी हो चुके विधायक जमील अहमद, जो अब कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं, से जब पूछा गया कि ओवैसी के साथ भाजपा के गठबंधन से कर्नाटक में क्या असर प़डेगा, उन्हांेने कहा कि ओवैसी सिर्फ हैदराबाद में हैं और कर्नाटक के मुस्लमान उन्हें नहीं स्वीकारेंगे जैसी संभावना ओवैसी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओवैसी के कर्नाटक में उतरने से कांग्रेस के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं होगा और पार्टी राज्य की सत्ता में लौटेगी। ृय्ष्ठप्स्फ्र्‍ ·र्ैंह् फ्य्थ्द्मय् घ्य्ब्त्रर्‍ ब्स् ख्रह्द्मह्र झ्य्यट्टश्चद्भय्ैंदरअसल असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों की अपनी रणनीति हो सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि ओवैसी राज्य के मुस्लिम मतदाताओं पर असर छो़ड सकते हैं। ऐसे में भाजपा की रणनीति रहेगी कि वह उन सीटों पर ओवैसी की पार्टी को आगे बढने दे जो मुस्लिम बहुल सीटें हैं और कांग्रेस मजबूत है। विशेषकर हैदराबाद कर्नाटक और उत्तर कर्नाटक सहित बेंगलूरु में कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की पार्टी उतर सकती है। माना जा रहा है कि इससे मुस्लिम वोटों के विभाजन होने की स्थिति में इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है। माना जाता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इसी प्रकार अपने विरोधियों को मात देने के लिए रणनीति अपनाई थी जिसमें उसे सफलता मिली थी। हालांकि कांग्रेस भी इस चुनावी चाल से वाकिफ है। इसलिए पार्टी ने तय किया है कि जिन सीटों पर ओवैसी की नजर है वहां कांग्रेस अपने मुस्लिम नेताओं को मुस्लिम मतादाताओं को जागरुक करने के लिए उतारेगी। इसके तहत पार्टी ने तय किया है कि वह मतदाताओं को बताएगी कि ओवैसी को वोट देने का मतलब भाजपा को वोट करना है।

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