भगदड़ मामले में इस्तीफा मांगने वाले भाजपा नेताओं पर सिद्दरामय्या ने किया पलटवार
कहा- ऐसी घटनाओं के बाद इस्तीफा देने वाले भाजपा नेताओं की सूची जारी करें

Photo: @siddaramaiah X account
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास हुई भगदड़ की घटना के बाद भाजपा नेताओं द्वारा उनका इस्तीफा मांगे जाने पर मंगलवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मैं राज्य भाजपा के नेताओं से अनुरोध करता हूं कि ऐसी मांग करने से पहले पूर्व में इस तरह की घटनाओं के बाद इस्तीफा देने वाले अपनी पार्टी के नेताओं की सूची जारी करें।
सिद्दरामय्या ने कहा कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास जो हुआ, वह एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना है। एक जिम्मेदार सरकार के रूप में, हमने इस घटना की जवाबदेही ली है। हमने बेंगलूरु शहर के पुलिस आयुक्त सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया और राज्य खुफिया विभाग के प्रमुख का तबादला कर दिया। मेरे राजनीतिक सचिव को भी उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया। इसके अलावा हमने मामले की गहन जांच करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जॉन माइकल कुन्हा के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है।सिद्दरामय्या ने कहा कि ऐसी निर्णायक कार्रवाई के बावजूद राज्य में भाजपा नेताओं की ओर से विरोध जारी है। इससे स्पष्ट होता है कि उनके इरादे लोगों के प्रति वास्तविक चिंता से प्रेरित होने के बजाय राजनीतिक हैं। त्रासदियों का राजनीतिकरण करना भाजपा के लिए कोई नई बात नहीं है। मृत्यु, दुर्घटना या हिंसा की हर घटना पर गिद्धों की तरह झपटना उनके डीएनए में समाहित है। कर्नाटक की जनता इस व्यवहार को समझ चुकी है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि हम हर त्रासदी से पीड़ित परिवारों के दुख और पीड़ा से सहानुभूति रखते हैं। यही कारण है कि हम ऐसी घटनाओं का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करते। हालांकि, भाजपा नेताओं द्वारा इन घटनाओं को उछालकर जनता को भड़काने के बार-बार प्रयासों को देखते हुए, हम उनके शासन के दौरान हुईं कुछ घटनाओं को लोगों के ध्यान में लाकर उनके पाखंड को उजागर करने के लिए बाध्य महसूस करते हैं।
सिद्दरामय्या ने साल 2002 के गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने न तो पद छोड़ा और न ही आज तक कोई खेद जताया। हमारा इस्तीफा मांगने वालों को पहले इस पर ध्यान देना चाहिए।
सिद्दरामय्या ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। हमारी पार्टी ने इस घटना पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग नहीं की थी। हमने इस पर चर्चा के लिए सिर्फ संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया था, जिसे प्रधानमंत्री ने अस्वीकार कर दिया। अभी तक इस हमले के दोषियों की पहचान नहीं हो पाई है। क्या यह केंद्र सरकार की विफलता नहीं है? इस विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या पं. जवाहरलाल नेहरू, राहुल गांधी या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
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सिद्दरामय्या ने कहा कि पिछले दो वर्षों से मणिपुर हिंसा की चपेट में है। सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। फिर भी भाजपा के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह 20 महीने तक सत्ता में बने रहे। आखिरकार उन्होंने उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही इस्तीफा दिया और राज्य में हिंसा जारी है। क्या केंद्रीय गृह मंत्री को इसकी जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?
सिद्दरामय्या ने कहा कि गुजरात में मोरबी पुल ढहने से 140 लोगों की जान चली गई थी। इस साल जनवरी में महाकुंभ मेले के दौरान 30 तीर्थयात्रियों की जान चली गई थी। क्या इन राज्यों के मुख्यमंत्री भाजपा से नहीं थे? उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। उन सरकारों ने इन घटनाओं की उचित जांच भी नहीं कराई। ऐसे में हमारे राज्य में भाजपा को हमसे इस्तीफा मांगने का क्या नैतिक अधिकार है?
सिद्दरामय्या ने कहा कि हमारी सरकार कर्नाटक के 7 करोड़ लोगों के प्रति जवाबदेह है, इसलिए भगदड़ मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ प्रारंभिक कार्रवाई की गई है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में व्यापक और निष्पक्ष जांच की जा रही है। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ बिना किसी हिचकिचाहट के सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं राज्य के भाजपा नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे अपनी सड़क पर नाटकबाजी छोड़कर अंतरात्मा की आवाज पर काम करें।
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