महान तमिल कवि कनियन जिनका संयुक्त राष्ट्र में गूंजा संदेश

महान तमिल कवि कनियन जिनका संयुक्त राष्ट्र में गूंजा संदेश

यूएनजीए में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

संयुक्त राष्ट्र/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन के दौरान देश के कई महापुरुषों का उल्लेख किया। इनमें महान तमिल कवि और दार्शनिक कनियन पुंगुंद्रनार का नाम भी शामिल था, जिसके बाद गूगल पर देश-दुनिया से लोग इनके बारे में सर्च कर रहे हैं।

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विश्व के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में प्रसिद्ध कवि कनियन के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का भी स्मरण किया था।

मोदी ने कवि कनियन के उद्धरण ‘याधुम ऊरे यावरुम केलिर’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है, ‘हम सभी स्थानों के ​लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं।’ इन शब्दों में संपूर्ण विश्व को अपना मानने यानी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना व्यक्त की गई है। मोदी ने कहा कि सीमा से इतर संबंधों की यह समझ भारत की विशिष्टता है।

बता दें कि कवि कनियन ने करीब 3,000 साल पहले उक्त पंक्तियां लिखी थीं। उनका जन्म महिबालनपट्टी में हुआ था, जो तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में तिरुप्पटुर तालुक की ग्राम पंचायत है। कवि कनियन गणित और खगोलशास्त्र के भी ज्ञाता थे।

कनियन संगम काल के कवि थे। वे मानवता एवं समानता के समर्थक और बंटवारे के विरोधी थे। उनकी रचनाओं से बाद में कई दार्शनिक प्रभावित हुए। आज भी उनके शब्द हमें प्रेरणा देते हैं। कनियन की कविता शिकागो में आयोजित हुई 10वीं विश्व तमिल कॉन्फ्रेंस का थीम सॉन्ग चुनी गई थी। अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इन पंक्तियों के उल्लेख से ये सोशल मीडिया में खूब शेयर की जा रही हैं।

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