बच्चों के संरक्षण का भी आधार बनेगा आधार
बच्चों के संरक्षण का भी आधार बनेगा आधार
चेन्नई। शहर के अनाथ आश्रमों, शासकीय आवासों, ओपेन शेल्टर होम्स और रिसेप्शन यूनिट्स में रहने वाले बच्चों के लिए सोमवार को यहां एक आधार पंजीयन शिविर आयोजित किया गया। जिला बाल सुरक्षा इकाई (डीपीसीयू) के इस शिविर में अनाथ बच्चों का आधार पंजीयन करवाने वाले अधिकारियों ने दावा किया कि इनके आधार कार्ड्स की मदद से इनकी सतत निगरानी की जा सकेगी और बाल तस्करी की घटनाओं पर रोक लगाने में मदद भी मिलेगी। इस शिविर के दौरान शहर के १५ निराश्रित आवासों में रहनेवाले ३८० बच्चों को आधार नंबर जारी किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह अभी शुरुआत है और इस प्रकार के शिविर लगाकर अनाथ बच्चों को आधार कार्ड जारी करने का काम आगे भी जारी रहेगा।डीपीसीयू के बाल संरक्षा अधिकारी सुरेश विक्टर ने बताया, ’’चेन्नई ६३ बाल आश्रम मौजूद हैं, जिनमें छह से सात हजार बच्चों को शरण मिली हुई है। वर्ष २०१५ में इनमें से ४ हजार बच्चों को आधार कार्ड जारी किए गए थे। अब शेष बच्चों को भी आधार कार्ड जारी करने की मुहिम चल रही है। इस मुहिम के तहत पांच से १८ वर्ष तक की उम्र वर्ग के बच्चों को आधार कार्ड जारी किए जा रहे हैं। इनके कार्ड बाल आश्रमों को सौंपे जा रहे हैं। जब बच्चे इन आश्रमों को छो़ड और कहीं जाएंगे तो उन्हें उनके आधार कार्ड्स सौंपे जाएंगे।’’जानकारी के मुताबिक, जिन बच्चों को उनके माता-पिता ने बाल आश्रमों में छो़डा था, उनसे डीपीसीयू ने राशन कार्ड या वोटर्स आईडी मांगी है। वहीं, जिनका कोई नहीं है, उनके लिए बाल आश्रमों ने ही परिचय प्रमाण जारी किया है। सुरेश ने बताया कि अनाथ बच्चों को आधार कार्ड जारी करने का यह फायदा होगा कि विभाग उनकी निगरानी बेहतर ढंग से कर सकेगा। इससे विभाग के पास एक डाटाबेस भी बन जाएगा, जिसमें अनाथ बच्चों का पूरा ब्यौरा दर्ज होगा। आधार कार्ड जारी करनेवाले प्राधिकरण यूआईडीएआई के पोर्टल में पूरे देश के बाल आश्रय घरों में रहनेवाले अनाथ बच्चों का विवरण दर्ज किया जा रहा है। सभी राज्यों में रहने वाले बच्चों, उनकी तस्वीरें, उनके माता–पिता से जु़डे विवरण, उनका रंग-रूप, कद-काठी, पहचान की निशानी और कई अन्य मूलभूत जानकारियां इस पोर्टल पर अपलोड की जा रही हैं। अगर किसी राज्य से गुमशुदा बच्चा किसी अन्य राज्य में पहुंच जाता है तो उसे ढूंढ निकालने में बहुत अधिक दिक्कत का सामना नहीं करना होगा। वहीं, बच्चे की तलाश में किसी प्रकार के भ्रम या गलत पहचान की गुंजाइश भी खत्म हो जाएगी।
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