असल शिवसेना कौन? उद्धव ठाकरे गुट को उच्चतम न्यायालय से झटका

असल शिवसेना कौन? उद्धव ठाकरे गुट को उच्चतम न्यायालय से झटका

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने उस्मानाबाद के शिवसेना कार्यकर्ताओं से कहा, ‘मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम जीतेंगे'


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने उद्धव ठाकरे गुट को झटका देते हुए निर्वाचन आयोग की उस कार्रवाई पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया, जिसके तहत उसे यह तय करना है कि असल शिवसेना उद्धव गुट है या शिंदे गुट। उद्धव गुट ने न्यायालय से यह मांग की थी कि आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए,  लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।

Dakshin Bharat at Google News
बता दें कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को विश्वास जताया था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी गुट के साथ कानूनी लड़ाई में उनका गुट विजयी होगा।

उच्चतम न्यायालय की एक संविधान पीठ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निर्वाचन आयोग को ‘असली’ शिवसेना को लेकर शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे के दावे पर निर्णय लेने से रोकने का अनुरोध किया गया है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने उस्मानाबाद के शिवसेना कार्यकर्ताओं से कहा, ‘मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम जीतेंगे।’

वे मुंबई में अपने आवास मातोश्री में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।

गौरतलब है कि इस वर्ष जून में सरकार के गिरने से पहले उद्धव मंत्रिमंडल ने उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव रखने पर मुहर लगाई थी।

शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के विद्रोह के बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी। शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को क्रमशः राज्य के मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।

उच्चतम न्यायालय ने गत 23 अगस्त को शिवसेना और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दाखिल उन याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेज दिया था, जिनमें दलबदल, विलय और अयोग्यता से जुड़े कई संवैधानिक सवाल उठाए गए हैं।

इसने निर्वाचन आयोग से शिंदे खेमे की याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं करने के लिए कहा था, जिसमें कहा गया था कि उसे ‘असली’ शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिह्न दिया जाए।

पीठ ने कहा था कि याचिकाएं संविधान की 10वीं अनुसूची से जुड़े कई अहम संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं, जिनमें अयोग्यता, अध्यक्ष एवं राज्यपाल की शक्तियां और न्यायिक समीक्षा शामिल है।

संविधान की 10वीं अनुसूची में निर्वाचित और मनोनीत सदस्यों के उनके राजनीतिक दलों से दलबदल की रोकथाम का प्रावधान है और इसमें दलबदल के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं।

ठाकरे गुट ने पहले कहा था कि शिंदे के प्रति निष्ठा रखने वाले पार्टी विधायक किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करके ही संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता से खुद को बचा सकते हैं।

शिंदे गुट ने दलील दी थी कि दलबदल रोधी कानून उस नेता के लिए कोई आधार नहीं है, जिसने अपनी ही पार्टी का विश्वास खो दिया है।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download