सिंध का आक्रोश

पाकिस्तान में सिंध और पंजाब का टकराव बहुत पुराना है

सिंध का आक्रोश

सिंध में कई जगह सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई

भारत द्वारा सिंधु जल संधि स्थगित किए जाने के बाद पाकिस्तान से 'रुझान' आने शुरू हो गए हैं। सिंध में प्रदर्शनकारियों ने गृह मंत्री जियाउल हसन लंजार का घर ही फूंक दिया। यह तो शुरुआत है। भारत का 'जल अस्त्र' भविष्य में घातक मिसाइलों से भी ज्यादा असरदार साबित होगा। पाकिस्तान के पंजाबी हुक्मरान जानते हैं कि आज नहीं तो कल, नफरत की बुनियाद पर बना उनका मुल्क टूटेगा। इसलिए वे अपने सूबे के लिए सारे इंतजाम करना चाहते हैं। उन्होंने सिंध, बलोचिस्तान और केपीके की हमेशा उपेक्षा की है। वे सिंधु नदी पर नहर के निर्माण का मंसूबा इसलिए लेकर आए हैं, ताकि सिंध प्रांत के हक पर डाका डाल सकें। पाकिस्तान में सिंध और पंजाब का टकराव बहुत पुराना है। पंजाबी फौज और पंजाबी नेताओं की मनमानी के कारण सिंधुदेश की मांग भी उठती रही है। इस बार सिंध की जनता ने जैसा विरोध प्रदर्शन किया, वह उनके आक्रोश की मजबूत अभिव्यक्ति है। इस दौरान की गई नारेबाजी में भी सिंधुदेश की मांग का जिक्र हुआ था। इससे इस्लामाबाद और रावलपिंडी की नींदें उड़ी हुई हैं। अगर सिंध में आज़ादी की लहर जोर पकड़ती है तो पाक फौज के लिए उसे कुचलना बहुत मुश्किल हो जाएगा। सिंध की सीमा भारत के साथ लगती है। अगर भविष्य में पाकिस्तानी फौज द्वारा सिंधी जनता का बड़े स्तर पर दमन किया गया और लोगों की भीड़ मदद मांगने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आ गई (पूर्वी पाकिस्तान की तरह) तो भारत को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

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सिंध के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लोग इन दिनों सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें आदि पोस्ट कर बता रहे हैं कि उनके यहां नदी में पानी बहुत कम रह गया है। कई जगह तो सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है। वे यह बात समझ रहे हैं कि इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार जनरल आसिम मुनीर हैं। भारत ने कभी पानी बंद नहीं किया था। यहां तक कि युद्ध के दौरान भी सिंध का पानी बराबर बहता रहा। अब मोदी सरकार ने बहुत सख्त फैसला ले लिया है। पानी और खून साथ-साथ नहीं बह सकते। भारत को इस फैसले पर कायम रहना होगा। यह एक ऐसा फैसला है, जो पाकिस्तान की पूरी अकड़ निकाल सकता है। सालभर में पाकिस्तान में खाद्यान्न, दलहन, सब्जियों, दूध, घी और अन्य चीजों की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है। सिंधु को पाकिस्तान की 'जीवन रेखा' यूं ही नहीं कहा जाता है। इस पड़ोसी देश की हरकतों को नियंत्रित करने के लिए पिछली सरकारों को ऐसा फैसला लेना चाहिए था। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही गंभीर दबावों का सामना कर रही है। सिंधु का पानी रोक देने से यह कितने महीने टिक पाएगी? वहां पिछले एक महीने में ही महंगाई का भूचाल आ गया है। बाजारों से लेकर घरों तक इसका असर दिखना शुरू हो गया है। आटा, चावल, दूध, सब्जियों के भाव बढ़ गए हैं। जब धीरे-धीरे स्थिति विकराल रूप लेगी तो पाकिस्तान की ओर से धमकियां तेज होती जाएंगी। वह कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को न्योता देकर उनके सामने 'विक्टिम कार्ड' खेलेगा। उसके नेता ऐसे संगठनों के मंचों पर भाषण देते हुए 'गुहार' लगाएंगे कि हमारा कर्ज माफ किया जाए और भारत पर दबाव डाला जाए। सोशल मीडिया पर झूठी तस्वीरें पोस्ट कर हमदर्दी हासिल करने की कोशिशें की जाएंगी। दुष्प्रचार के नए-नए पैंतरे आजमाए जाएंगे। उस समय भारत सरकार और भारतवासियों को दृढ़ता दिखानी होगी। आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई लंबी चलेगी, लेकिन इसके नतीजे ठोस निकलेंगे।

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