संस्कृत के वैश्विक गौरव को बढ़ावा दे रही बीएपीएस, सैकड़ों किशोरों को कराए श्लोक कंठस्थ
बच्चों की स्मरण शक्ति और एकाग्रता में हुई बढ़ोतरी

संस्था ने कहा कि संस्कृत सिर्फ अतीत की हीं, बल्कि भविष्य की भी भाषा है
मेलबर्न/दक्षिण भारत। बीएपीएस ने संस्कृत के वैश्विक गौरव को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया में 1,400 से ज्यादा किशोरों को सत्संग दीक्षा दी और सिद्धांत कारिका का मुखपाठ कराया। संस्था ने कहा कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान, संस्कृति और मानसिक विकास का दिव्य साधन है। संस्कृत की संरचना और वैज्ञानिक गुण स्मरण शक्ति, एकाग्रता और तार्किक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं।
बीएपीएस ने बताया कि वह संस्कृत को बढ़ावा देती आई है। यह आध्यात्मिक मार्ग का अनुसरण करने के साथ ही युवा पीढ़ी को शाश्वत मूल्यों से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। संस्था ने कहा कि महंत स्वामी महाराज ने हमेशा संस्कृत की महानता को उजागर किया और उनके आशीर्वाद से यहां संतों और युवाओं के लिए संस्कृत अध्ययन अनिवार्य है।बीएपीएस ने बताया कि हाल में ऑस्ट्रेलिया में उसके 1,400 से ज्यादा किशोरों ने सत्संग दीक्षा ग्रंथ के 315 श्लोकों को हृदयस्थ कर उनका उच्चारण किया। कई विद्यार्थियों ने सिद्धांत कारिका के 565 श्लोक भी कंठस्थ किए हैं। संस्कृत श्लोकों से बच्चों के मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर आश्चर्यजनक प्रभाव पड़ा है। कई अभिभावकों ने अनुभव किया कि मुखपाठ करने से बच्चे पढ़ाई में मेधावी और तेजस्वी बन गए हैं। उनकी स्मरण शक्ति और एकाग्रता में बढ़ोतरी हुई है।
संस्था ने कहा कि संस्कृत सिर्फ अतीत की भाषा नहीं, बल्कि भविष्य की भी भाषा है। आज यह वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों को छू रही है।