कश्मीर में आतंकवाद: मोदी बोले- सरदार पटेल की बात मानी होती तो यह सिलसिला नहीं होता
गांधीनगर में प्रधानमंत्री का संबोधन

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गांधीनगर/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर में गुजरात शहरी विकास की 20वीं वर्षगांठ के समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज गांधीनगर में हूं। मैं जहां-जहां गया, वहां गर्जना करता सिंदूरिया सागर और लहराता तिरंगा जन-जन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम और देशभक्ति का ज्वार देखने को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दृश्य सिर्फ गुजरात में नहीं है, हिंदुस्तान के कोने-कोने में है, हर हिंदुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है तो पूरा शरीर परेशान रहता है। इसलिए हमने तय कर लिया है, हम उस कांटे को निकालकर रहेंगे।प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थीं जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदीन के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया था। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीन को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा यह सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया। यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कल 26 मई थी। साल 2014 में इस तारीख को मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला था। उस समय, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली। इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने, क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है— वर्ष 2047 में हिंदुस्तान को विकसित होना ही चाहिए। हम आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हमें पर्यटन पर बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है। कोई सोच सकता है कि कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, आज वहां जाने के लिए बुकिंग नहीं मिल रही है। चीजों को बदला जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बार कल्पना करते हुए अगर हम उसे जमीन पर उतारने का प्रयास करें, तो कितने अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, यह हम भलीभांति देख रहे हैं। वही कालखंड था जब हमने रिवर फ्रंट बनाया। वही कालखंड था जब हमने दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, उसे पूरा किया। वही कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, उसे पूरा किया।
इससे पहले, मोदी ने गांधीनगर में रोड शो भी किया, जिसमें बड़ी तादाद में लोग उमड़े। उन्होंने प्रधानमंत्री का अभिवादन किया।