देशप्रेम के साथ विकास का संकल्प लें
आम भारतवासी के मन में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर गहरा उत्साह है

भारत के हर गांव को विकसित बनाना होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम की 122वीं कड़ी में देश में आ रहे उस सकारात्मक बदलाव का जिक्र किया है, जिसके साथ देशप्रेम और स्वदेशी की अवधारणा बहुत मजबूती के साथ जुड़ी हुई है। आज लोग नवजातों के नाम 'सिंदूर' रख रहे हैं। यह दिखाता है कि आम भारतवासी के मन में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर गहरा उत्साह है, वह देश के सशस्त्र बलों से बहुत लगाव रखता है। पहले, ऐसी सैन्य कार्रवाइयों के बारे में विस्तृत जानकारी उच्च शिक्षित वर्ग तक ही सीमित रहती थी। अब आम लोग यह चर्चा करते मिल जाते हैं कि पाकिस्तान और पीओके में भारतीय मिसाइलों ने किन ठिकानों पर तबाही मचाई, हमारे एयर डिफेंस सिस्टम ने कितना शानदार काम किया! जनता अब ज्यादा जागरूक है। वह राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में ज्यादा सजग है। जब 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत कार्रवाई जोरों से जारी थी, तब पाकिस्तान ने दुष्प्रचार का बहुत सहारा लिया था। उस दौरान भारत की जनता ने बहुत ही संयम और सूझबूझ का परिचय दिया, जो अत्यंत प्रशंसनीय है। पाकिस्तान के कथित बड़े पत्रकार, जो सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो पोस्ट कर अपनी फौज की नाकामी को ढकने की कोशिश कर रहे थे, उनकी पोल भारत की जनता ने मिनटों में खोल दी थी। यह भी हैरानी की बात है कि देश में कुछ 'बुद्धिजीवी' पाकिस्तान के झांसे में आ गए थे। उन्होंने बिना कोई जांच-पड़ताल किए फर्जी पोस्ट शेयर की, बाद में किरकिरी होने पर उसे हटाना भी पड़ा।
भारतवासियों के मन में उठी देशप्रेम की इस अद्भुत लहर से बड़े-बड़े काम कराए जा सकते हैं। इस ऊर्जा का इस्तेमाल हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने के लिए होना चाहिए। सरकार ऐसी योजनाएं लेकर आए, जिनके जरिए देश की युवा शक्ति को रोजगार मिले। पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करना यकीनन देशभक्ति का कार्य है। वहीं, अपने देश में नवनिर्माण करना, उद्योग लगाना भी देशभक्ति का कार्य है। आज भारत के समक्ष जिस तरह की रक्षा चुनौतियां उभर रही हैं, उनके मद्देनज़र बहुत जरूरी है कि वैज्ञानिक शोध में निवेश बढ़े, देश हथियारों एवं रक्षा तकनीक के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बने। इसके लिए धन चाहिए। कुछ विदेशी शक्तियां नहीं चाहतीं कि भारत मजबूत हो। वे विभिन्न तरीकों से मार्ग अवरुद्ध करती रहती हैं। भारत इन परिस्थितियों का दृढ़ता से सामना कर रहा है। जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना इसका ताजा प्रमाण है। जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती जाएगी, वैज्ञानिक शोध में नए मार्ग भी खुलते जाएंगे। देश के पास समृद्ध और शक्तिशाली होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसके लिए भारत के हर गांव को विकसित बनाना होगा। प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के काटेझरी गांव का जिक्र करते हुए बताया था कि वहां पहली बार एक बस पहुंची तो लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया। बेशक गांव के लिए यह खुशी की बात है। हमें इसके दूसरे पहलू को भी देखना चाहिए। क्या वजह है कि इस गांव में एक बस को आने में इतने साल लग गए? सरकारी स्तर पर प्रयासों में कुछ तो कमियां रही होंगी, जिनकी वजह से काटेझरी के निवासी अब तक बस सुविधा से वंचित रहे! परिवहन, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, इंटरनेट जैसी सुविधाएं हर गांव में होनी चाहिएं। आज इनके बगैर गुजारा नहीं हो सकता। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो प्रसारित होते रहते हैं, जिनमें बताया जाता है कि फलां गांव में पहली बार बिजली पहुंची, पहली बार पानी की पाइप लाइन बिछी, पहली बार कंप्यूटर पहुंचा ...। पहली बार ये सुविधाएं मिलने पर खुशी होना स्वाभाविक है, लेकिन इंतजार इतना लंबा भी नहीं होना चाहिए। भारत विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़े, इसके लिए मूलभूत सुविधाएं सबको मिलनी चाहिएं।