साइबर ठगी का फैलता जाल
इसने देश की प्रतिष्ठा पर भी नकारात्मक असर डाला है

ये अपराधी किसी सूरत में नरमी के हकदार नहीं हैं
आंध्र प्रदेश पुलिस ने अनकापल्ली जिले के अच्युतापुरम इलाके में अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के गिरोह का पर्दाफाश कर उन अपराधियों को कड़ा संदेश दिया है, जो तकनीक की मदद से लोगों के बैंक खाते खाली कर रहे हैं। पुलिस द्वारा की गई लगभग तीन दर्जन आरोपियों की गिरफ्तारी निश्चित रूप से बड़ी सफलता है। अक्सर साइबर ठग अलग-अलग जगहों से गिरोह का संचालन करते हैं, जिससे पुलिस का उन तक पहुंचना मुश्किल होता है। इस बार बड़ा समूह ही उसके हत्थे चढ़ गया। यहां फर्जी कॉल सेंटर बनाकर अमेरिका के लोगों को निशाना बनाया जा रहा था। यह कृत्य गंभीर अपराध तो है ही, इसने देश की प्रतिष्ठा पर भी नकारात्मक असर डाला है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो और पोस्ट मौजूद हैं, जिनमें अमेरिकी नागरिक इस बात पर चर्चा करते मिलेंगे कि उन्हें 'भारतीय साइबर ठग' ने निशाना बनाया था। उन अमेरिकी नागरिकों में से कई लोग तो बुजुर्ग थे, जिन्हें तकनीक की ज्यादा जानकारी नहीं थी। वे ठगों के झांसे में आ गए और जीवनभर की पूंजी गंवा बैठे। उन वीडियो में भारतीयों के उच्चारण का जिक्र कर नसीहत दी गई है कि 'अगर फोन पर कोई व्यक्ति इस अंदाज में बात करे तो तुरंत सावधान हो जाएं, क्योंकि वह एक साइबर ठग हो सकता है।' एक ओर तो भारतीय मूल के लोग अमेरिका की बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ बन रहे हैं, वे शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं; दूसरी ओर कुछ लोग साइबर ठगी के जरिए देश की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ये अपराधी किसी सूरत में नरमी के हकदार नहीं हैं।
आज भारतीय तकनीक की दुनियाभर में सराहना हो रही है। विभिन्न अंतरिक्ष मिशन हों या डिजिटल पेमेंट के हर साल बनने वाले नए रिकॉर्ड हों, भारत की शक्ति एवं सामर्थ्य का डंका बज रहा है। 'ऑपरेशन सिंदूर' में तो हमारे एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइलों और ड्रोन्स ने कमाल ही कर दिया। दुनियाभर के मीडिया में इनकी चर्चा हो रही है। दूसरी ओर, साइबर ठगी में लिप्त लोग इस विश्वास को चोट पहुंचा रहे हैं। ऐसे मामलों में जब किसी अमेरिकी नागरिक को आर्थिक नुकसान होता है तो वह आवेश में आकर सभी भारतीयों के लिए नकारात्मक धारणा बना सकता है। सोशल मीडिया के दौर में लोग अपने अनुभव ऑनलाइन साझा करते हैं, जिससे सूचनाएं तेजी से फैलती हैं। पूर्व में अमेरिका के कई हैकर्स ने ऐसे साइबर ठगों से फोन पर बात करते हुए उनके कंप्यूटरों के कैमरे हैक कर लिए थे। उन्होंने ठगों के चेहरों के साथ उन वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और उनकी गतिविधियों को भारत के साथ जोड़कर देखा था। भारतीय नागरिक तो खुद इन ठगों से परेशान हैं, लिहाजा इन्हें भारत के साथ जोड़ना बिल्कुल गलत है। हाल में 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर साइबर ठगों ने बहुत लोगों को चूना लगाया था, जिनके पीड़ितों में उच्च शिक्षित लोग भी थे। आज साइबर ठगी एक अंतरराष्ट्रीय समस्या बन चुकी है। 'मोटी कमाई, आसान पैसा, जल्द अमीर बनने का लालच' — ये ऐसे बिंदु हैं, जिनके आधार पर साइबर ठगी के गिरोह अपना जाल फैलाते हैं और युवाओं को आकर्षित करते हैं। कई देशों में इनका प्रसार हो चुका है। इन्हें हतोत्साहित करने के लिए स्थानीय कानूनों को सख्त करने के साथ ही पुलिस एवं जांच एजेंसियों को अधिक सक्षम बनाना होगा। इसके अलावा डिजिटल भुगतान प्रणाली में सुधार करने होंगे, ताकि साइबर ठग शुरुआती चरण में अपने मंसूबों में कामयाब हो भी जाए तो ठगी की रकम उस तक न पहुंच पाए और उसे वापस ग्राहक के खाते में जमा करा दिया जाए। उन्नत तकनीक और जागरूकता से ही बचाव संभव है।