तुर्किये की कृतघ्नता

पाकिस्तान तुर्किये के सामने हाथ फैलाता रहा है

तुर्किये की कृतघ्नता

देश सुरक्षित रहेगा तो व्यापार सुरक्षित रहेगा

पाकिस्तान की आतंकी हरकतों में साथ देने वाले तुर्किये को सबक सिखाने का वक्त आ गया है। इस देश ने रावलपिंडी को ड्रोन और सैन्य तकनीक से जुड़ी मदद उपलब्ध कराई, जिसके बाद भारत को पूरा अधिकार है कि सख्त कदम उठाए। 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत के हमलों के बाद जिस तरह एलओसी एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दुश्मन के ड्रोन मंडराने लगे और उन्होंने नागरिकों को निशाना बनाने की कोशिश की, उससे इस बात की पुष्टि होती है कि तुर्किये ने हमें नुकसान पहुंचाने के लिए अपने संसाधन उपलब्ध कराए थे। पाकिस्तान के पास बेहतर और बड़ी संख्या में ड्रोन बनाने की क्षमता नहीं है। वह तुर्किये के सामने हाथ फैलाता रहा है। भारत ने तुर्किये में फरवरी 2023 में आए भूकंप के बाद 'ऑपरेशन दोस्त' चलाकर उसके हजारों नागरिकों की जान बचाई थी। उसके बाद हमें क्या मिला? कृतघ्नता, विश्वासघात! हममें 'शत्रुबोध' नहीं है। तुर्किये तो कई मौकों पर कह चुका है कि उसकी ओर से पाकिस्तान को सहयोग जारी रहेगा। वह पाकिस्तान के समर्थन में ही खड़ा होगा, चाहे हम संकट की घड़ी में उसकी मदद करते रहें। भारत को ऐसे देश पर दया दिखाने की कोई जरूरत नहीं थी। अब हमें तुर्किये के साथ सख्ती से निपटना चाहिए। यह दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी नहीं आता। इसके राष्ट्रपति एर्दोगान का भारतविरोधी रुख जगजाहिर है। हर साल भारत से लाखों पर्यटक तुर्किये जाते हैं। हमारे कई नागरिकों ने सोशल मीडिया पर इस देश की बहुत बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ की है। इस वजह से काफी लोग वहां जाने लगे हैं। क्या तुर्किये का पर्यटन हमारे देशवासियों के जीवन से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है? जिस देश की सरकार उन लोगों की मदद करती है, जो हमारे सैनिकों और आम नागरिकों का खून बहाते हैं, वहां घूमने जाना कौनसी अक्लमंदी की बात है?

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हम तुर्किये के खजाने में धन भेजकर अपने देशवासियों के लिए संकट मोल लेते हैं। अब इस देश के पर्यटन का पूरी तरह बहिष्कार होना चाहिए। बात यहीं पर न रुके। तुर्किये से बड़ी तादाद में सेबों का आयात किया जाता है। लोग उन्हें बड़े चाव से खाते हैं। जो देश हमारे घरों में बम फेंकने का इरादा रखता है, हम उससे सेब खरीद रहे हैं! क्या हमारे देश में सेबों की कमी है? हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर के सेब अपने स्वाद के लिए दुनिया में मशहूर हैं। अब तो हमारे कृषि वैज्ञानिक मैदानी इलाकों में सेब की खेती करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं। भारत में सैकड़ों फलों की खेती होती है। उनकी कई तरह की किस्में हैं, जो अपनी खूबियों के लिए जानी जाती हैं। हमारे बाजारों में फलों के ढेर लगे हुए हैं। इसके बावजूद हमें ऐसे फल क्यों खाने हैं, जिनसे हमारे दुश्मन को आर्थिक लाभ हो? अपने देश के फल खाएं, ताकि अपने किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो। तुर्किये के सेब सस्ते या मुफ्त में मिलें, तो भी न लें। हर साल तुर्किये में भारत की कई फिल्मों और धारावाहिकों की शूटिंग होती है। इससे उसे करोड़ों रुपए की आमदनी होती है। निर्माताओं, निर्देशकों और कलाकारों को चाहिए कि वे दूसरे विकल्प तलाशें। ऐसे देशों को हमसे एक रुपए की भी कमाई नहीं होनी चाहिए, जो भारत से दुश्मनी रखते हैं। हमसे कमाएं और हम पर ही बम बरसाएं ... अब यह नहीं चलेगा। भारत में तुर्किये से मार्बल का आयात किया जाता है। हमारे कई शहरों में मार्बल के व्यापारियों ने तुर्किये का बहिष्कार शुरू कर दिया है, जो प्रशंसनीय है। देश सुरक्षित रहेगा तो व्यापार सुरक्षित रहेगा। इन व्यापारियों से अन्य लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारे सैनिकों ने दुश्मन के होश ठिकाने लगा दिए हैं। उन्होंने मोर्चा संभाल रखा है और जब जरूरत पड़ेगी, पुन: कार्रवाई करेंगे। अब हमारी बारी है। पाकिस्तान और उसके हिमायती देशों, संगठनों, लोगों को हमारी ओर से किसी तरह का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

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