बलोचिस्तान हिंदुओं की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है: हिमंत बिस्वा सरमा

हिंगलाज माता का मंदिर हिंदुओं का बड़ा तीर्थ है

बलोचिस्तान हिंदुओं की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है: हिमंत बिस्वा सरमा

Photo: @himantabiswa X account

गुवाहाटी/दक्षिण भारत। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को कहा कि बलोचिस्तान हिंदुओं के लिए गहरा ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, खासकर हिंगलाज माता मंदिर के पवित्र स्थान के रूप में, जो 51 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है।

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मुख्यमंत्री ने एक्स पर लिखा, 'हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान के बीहड़ भूभाग में स्थित इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है, जहां देवी सती का सिर गिरा था, जिससे यह शक्ति संप्रदाय के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बन गया।'

उन्होंने कहा, 'सदियों से हिंदू तीर्थयात्री, विशेषकर सिंधी, भावसार और चारण समुदायों के लोग इस तीर्थस्थल पर आशीर्वाद लेने के लिए रेगिस्तान में कठिन यात्राएं करते रहे हैं।'

अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, 'बलोचिस्तान हिंदुओं के लिए गहन ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखता है, मुख्य रूप से हिंगलाज माता मंदिर के पवित्र स्थान के रूप में, जो हिंदू परंपरा में 51 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है।'

उन्होंने कहा, 'हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान के बीहड़ भूभाग में स्थित इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां देवी सती का शीश गिरा था, जिससे यह शक्ति संप्रदाय के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बन गया।'

उन्होंने कहा, 'सदियों से हिंदू तीर्थयात्री - विशेष रूप से सिंधी, भावसार और चारण समुदायों से - इस तीर्थस्थल पर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रेगिस्तान में कठिन यात्राएं करते रहे हैं। अपने धार्मिक महत्व के अलावा, बलोचिस्तान उपमहाद्वीप के विभाजन से बहुत पहले, इस क्षेत्र में हिंदुओं की प्राचीन सांस्कृतिक उपस्थिति की मार्मिक याद दिलाता है।'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस मंदिर को बलोच लोगों द्वारा भी बहुत सम्मान दिया जाता है, जो इसे प्यार से 'नानी मंदिर' के नाम से पुकारते हैं, जो अंतर-सामुदायिक श्रद्धा और साझा विरासत की दुर्लभ विरासत को दर्शाता है।'

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