मानसून की दस्तक

मानसून की दस्तक

मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुरूप मॉनसून ने मंगलवार को केरल और उत्तर-पूर्व में एक साथ दस्तक दे दी। मॉनसून उन हवाओं को कहते हैं जो मौसमी तौर पर बहती हैं। हिंद महासागर और अरब सागर से भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान की ओर बहने वाली यह हवाएं इन क्षेत्रों में भारी होने वाली वर्षा में सहायक होती हैं। हाइड्रोलॉजी की भाषा में मॉनसून वर्षा उसे कहते हैं जो किसी मौसम में किसी क्षेत्र विशेष में होती है। दुनिया के अनेक क्षेत्रों जैसे उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका के कुछ भाग, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी एशिया में भी ऐसी वर्षा होती है। भारत में जितने क्षेत्र में मॉनसून की वर्षा होती है, उसके सामने अमेरिका का मॉनसून छोटा प़डता है क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप में आबादी अमेरिका से कहीं अधिक है। उम्मीद की जा रही है कि जून के पहले हफ्ते में यह देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों को अपने प्रभाव में ले लेगा। मौसम विभाग ने इस बार पिछले ५० वर्षों की औसत बारिश की ९६ फीसदी बरसात होने की भविष्यवाणी की है। वर्ष २०१४-१५ और २०१५-१६ के दो लगातार सूखों के बाद इस साल की संभावित अच्छी बारिश खेती के लिए ही नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। जब से अच्छे मानसून की खबर आई है तब से पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार का सेंसेक्स भी च़ढता नजर आ रहा है।जब सब इस खुशी में झूमते दिख रहे हों तब क़डवी बातों का जिक्र करना भला किसे अच्छा लगेगा। लेकिन सच्चाई को भुलाना किसी समस्या का हल नहीं है, इसलिए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फीसदी में मॉनसून का हिसाब बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता। अहम सवाल यह है कि इस ९६ फीसदी बारिश का देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसा बंटवारा होता है। अगर किसी इलाके में बहुत ज्यादा बारिश हो जाए और किसी अन्य इलाके में बूंद भी न प़डे तो औसत अच्छा ही बना रहेगा, लेकिन देश का एक हिस्सा सूखे का तो दूसरा बा़ढ का संकट झेलेगा। गौरतलब है कि पिछले साल मौसम विभाग ने औसत से अच्छी बारिश की भविष्यवाणी की थी, जिसे बाद में संशोधित करके औसत बारिश का रूप दिया गया था। लेकिन इस संतोषजनक खबर के बावजूद तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों में सूखे जैसे हालात बने रहे। रहा सवाल अच्छे मॉनसून और अच्छी खेती के रिश्तों का, तो इसमें संदेह का कोई कारण नहीं, लेकिन अच्छी खेती का मतलब यह नहीं कि इससे किसानों को राहत मिल जाएगी। इसके बहुत सारे उदाहरण मौजूदा हैं कि अच्छी खेती का फायदा किसानों तक अपने आप नहीं पहुंच जाता। किसानों की बेहतर आमदनी सुनिश्चित करने के लिए बाजार तक उनकी पहुंच और लाभदायक मूल्य सुनिश्चित करना जरूरी है। मौसम संबंधी बदलावों की सूचना भी किसानों तक समय से नहीं पहुंच पाती है। किसानों की इन्हीं चिंताओं को दूर करने की दिशा में सरकार को कार्यरत होकर आवश्यक कदम उठाने प़डेंगे। अगर देश के किसान को आधुनिक तकनीक और मोबाइल पर जानकारियां नियमित रूप से उपलब्ध कराइ जाएँ तो निश्चित रूप से इसका ़फायदा क्षेत्र की फसल में बडौती के रूप में ऩजर आएगा।

Google News
Tags:

About The Author

Related Posts

Post Comment

Comment List

Advertisement

Latest News

हुब्बली की कॉलेज छात्रा से बर्बरता, पूर्व सहपाठी ने कई बार चाकू मारकर जान ली हुब्बली की कॉलेज छात्रा से बर्बरता, पूर्व सहपाठी ने कई बार चाकू मारकर जान ली
फोटो: सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो से। वीडियो इतना विचलित कर देने वाला है कि उसे यहां पोस्ट नहीं किया...
पाक में चीनियों के बाद जापानी निशाने पर, हमलावर ने वाहन के पास जाकर खुद को उड़ाया!
वायनाड में बोले नड्डा- 'राहुल गांधी और कांग्रेस को देश की परवाह नहीं है'
भाजपा गांव, गरीब के लिए बड़े विजन और बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रही है: मोदी
लोकसभा चुनाव के लिए तमिलनाडु में हो रहा मतदान, लोगों में भारी उत्साह
इजराइली 'कार्रवाई' में निशाने पर थे ईरानी परमाणु ठिकाने? आया बड़ा बयान
इजराइल के मिसाइल हमले से दहला ईरान!