चामुंडी वन्यजीव संरक्षण कें द्र का हुआ विस्तार

चामुंडी वन्यजीव संरक्षण कें द्र का हुआ विस्तार

मैसूरु/दक्षिण भारतराज्य के दूसरे वन्यप्राणी संरक्षण केंद्र की मान्यता हासिल कर चुके चामुंडी एनिमल कंजर्वेशन, रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर ने अपने परिसरों में अधिक से अधिक संख्या में जंगली प्राणियों को स्थान देने और उनकी हिफाजत के अपनी क्षमता में वृद्धि की है। यहां दो नए ब्लॉक्स बनाए गए हैं। इनमें जानवरों को रखने के लिए आठ कमरे बने हुए हैं्। शिवमोग्गा के तवरेकोप्पा शेर और बाघ सफारी से यहां पांच चीते लाकर रखे गए हैं्। नए ब्लॉक में आने वाले यही सबसे पहले वन्यप्राणी थे। इन ब्लॉक्स में होल्डिंग रूम्स के साथ ही इस नए परिसर में जानवरों को स्वच्छंद विचरण की सुविधा भी मुहैया करवाई गई है। वहीं, सेंटर के परिसर में एक नए ब्लॉक का निर्माण कार्य इस समय जारी है। यहां पहले से बाघ, चीता और तेंदुआ जैसे प्राणियों के लिए पहले से आठ होल्डिंग रूम्स बने हैं। साथ ही यहां एक वन्य प्राणी चिकित्सालय स्थापित करने का काम भी जारी है। इसका निर्माण कार्य जल्दी ही पूरा कर लिए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध मैसूरु चिि़डयाघर की ओर से दो वर्ष पहले मैसूरु-हुन्सूर रोड पर स्थित कूरगल्ली गांव में यह प्राणी संरक्षण केंद्र विकसित किया गया था। यह राज्य में अपनी तरह का दूसरा प्राणी संरक्षण केंद्र माना जाता है। इनमें से पहले संरक्षण केंद्र की स्थापना बेंगलूरु के बन्नरगट्टा बायोलॉजिकल पार्क में विकसित किया गया था। चूंंकि चिि़डयाघर में लाए जानेवाले जंगली जानवरों के पुनर्वास के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी, इसलिए इस केंद्र का विकास किया गया था। मैसूरु के कूरगल्ली में विकसित प्राणी संरक्षण केंद्र के लिए कर्नाटक चिि़डयाघर प्राधिकरण ने ११३.२१ एक़ड जमीन आवंटित की है। यह देश में भारतीय गौर के संरक्षण और संतानोत्पत्ति के लिए दूसरा सबसे ब़डा केंद्र माना जाता है। मैसूरु चिि़डयाघर के कार्यकारी निदेशक रविशंकर ने बताया कि तवरेकोप्पा में रखे गए चीतों की संख्या वहां की क्षमता से काफी अधिक थी। इसी वजह से पांच चीतों को केंद्रीय चिि़डयाघर प्राधिकरण की अनुमति हासिल करने के बाद मैसूरु लाया गया है। इन पांच में से चार चीतों का जन्म तवरेकोप्पा के चिि़डयाघर में ही हुआ था, जबकि एक मादा चीते को वन अधिकारियों ने बचाकर अपने संरक्षण में रखा था। संरक्षण केंद्र में छह अन्य बाघों के साथ मैसूरु चिि़डयाघर से लाए गए दो हाथी चंपा और द्रोण को भी रखा गया है। रविशंकर ने बताया कि इस संरक्षण केंद्र में सिर्फ ऐसे बीमार या अपाहिज हो चुके जानवरों को लाकर रखा जाता है, जिनको चिि़डयाघरों में प्रदर्शित करना संभव नहीं है। जंगलों से घायल या कैद किए गए जानवरों को भी इस संरक्षण केंद्र में लाकर रखा जाता है। यहां इन जानवरों को इलाज भी दिया जाता है।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

आईटीआई लि. के पंजीकृत एवं निगमित कार्यालय को 'उत्‍कृष्‍ट राजभाषा कार्यान्‍वयन पुरस्‍कार' मिला आईटीआई लि. के पंजीकृत एवं निगमित कार्यालय को 'उत्‍कृष्‍ट राजभाषा कार्यान्‍वयन पुरस्‍कार' मिला
आईटीआई लि. के अध्‍यक्ष ने संस्‍थान के कार्मिकों को बधाई दी
सत्ता बंटवारे को लेकर शिवकुमार के साथ कोई समझौता नहीं हुआ था: सिद्दरामय्या
कौन है यह रूसी सुंदरी, जिसने जीता मिसेज प्लैनेट यूनिवर्स 2024 का खिताब?
'अभी भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है' - उच्च न्यायालय ने सिद्धू के दावे के खिलाफ याचिका खारिज की
महाराष्ट्र भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए देवेंद्र फडणवीस
'घर जाने का समय': क्या विक्रांत मैसी ने 'पब्लिसिटी स्टंट' के लिए दांव चला?
बांग्लादेश: कैसे होगी शांति स्थापित?