एससीओ में मोदी, शी और पुतिन की मुलाकात को पीटर नवारो ने 'परेशानी वाली बात' बताया

पुतिन और शी जिनपिंग को बताया तानाशाह

एससीओ में मोदी, शी और पुतिन की मुलाकात को पीटर नवारो ने 'परेशानी वाली बात' बताया

Photo: @RealPNavarro X account

न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन/दक्षिण भारत। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शीर्ष व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत, रूस और चीन के नेताओं के बीच एकता के प्रदर्शन को 'परेशान करने वाला' बताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के साथ नहीं, बल्कि वॉशिंगटन, यूरोप और यूक्रेन के साथ होना चाहिए।

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नवारो की यह टिप्पणी सोमवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान तीनों नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की गई सौहार्दपूर्ण छवि के बाद आई है।

जब मोदी, शी और पुतिन के बीच 'एकता के प्रदर्शन' के बारे में पूछा गया तो नवारो ने कहा, 'यह परेशान करने वाला है। यह परेशान करने वाला है।'

ट्रंप प्रशासन के व्यापार और विनिर्माण मामलों के वरिष्ठ सलाहकार ने कहा, 'यह शर्मनाक है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता मोदी दुनिया के दो सबसे बड़े तानाशाहों पुतिन और शी जिनपिंग के साथ गठजोड़ कर रहे हैं। इसका कोई मतलब नहीं है।'

उनकी टिप्पणी, तथा मोदी, पुतिन और शी के बीच सौहार्द का प्रदर्शन, भारत-अमेरिका संबंधों में पिछले दो दशकों के संभवतः सबसे खराब दौर की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति तथा उनके प्रशासन द्वारा नई दिल्ली की लगातार आलोचना के कारण तनाव और बढ़ गया है।

नवारो ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि वे (मोदी) क्या सोच रहे हैं, खासकर इसलिए क्योंकि भारत दशकों से चीन के साथ शीत युद्ध और कभी-कभी गरम युद्ध में उलझा हुआ है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय नेता यह समझेंगे कि उन्हें इस मामले में रूस के साथ नहीं, बल्कि हमारे साथ, यूरोप और यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए और उन्हें तेल खरीदना बंद कर देना चाहिए।'

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ लगाया है और दिल्ली द्वारा रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, जिससे भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।

भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को अनुचित बताया है। रूस से कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस के कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से रूस भारत का शीर्ष ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है।

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