भारत बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है: मोदी
प्रधानमंत्री ने भारत-जापान आर्थिक मंच में भाग लिया
Photo: narendramodi FB Page
टोक्यो/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने जापानी समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ भारत-जापान आर्थिक मंच में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि मैं आज सुबह ही टोक्यो पहुंचा हूं। मुझे बहुत खुशी है कि मेरी यात्रा की शुरुआत बिजनेस जगत के दिग्गजों के साथ हो रही है। आप में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनसे मेरा व्यक्तिगत परिचय रहा है। जब मैं गुजरात में था, तब भी और जब मैं दिल्ली आ गया, तब भी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विकास यात्रा में जापान हमेशा एक अहम पार्टनर रहा है। मेट्रो से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक, सेमीकंडक्टर से स्टार्टअप्स तक हर क्षेत्र में हमारी साझेदारी आपसी विश्वास का प्रतीक बनी हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि जापानी कंपनियों ने भारत में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। मात्र पिछले 2 वर्षों में 30 बिलियन डॉलर का प्राइवेट निवेश हुआ है। पिछले 11 वर्षों में भारत के अभूतपूर्व परिवर्तन से आप सभी भलीभांति परिचित हैं। आज भारत में राजनीतिक स्थिरता है, आर्थिक स्थिरता है, पॉलिसी में पारदर्शिता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत विश्व की सबसे तेज ग्रोथ करने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। बहुत जल्द विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। हमारे रिफॉर्म केवल कर प्रणाली तक सीमित नहीं हैं। हमने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बल दिया है। बिजनेस के लिए एकल डिजिटल विंडो अप्रूवल की व्यवस्था की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन रिफॉर्म के पीछे हमारा विकसित भारत बनाने का संकल्प है। विश्व ने इसे पहचाना ही नहीं, बल्कि सराहा भी है। एस एंड पी ग्लोबल ने दो दशक बाद, भारत की क्रेडिट रेटिंग अपग्रेड की है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑटो सेक्टर में हमारी भागीदारी बेहद सफल रही है। हम साथ मिलकर, वही मैजिक, बैटरीज़, रोबोटिक्स, सेमी-कन्डक्टर, शिप-बिल्डिंग और परमाणु ऊर्जा में भी दोहरा सकते हैं। साथ मिलकर, हम ग्लोबल साउथ, विशेषकर अफ्रीका के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं - आइए, भारत में बनाएं, विश्व के लिए बनाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एआई, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक और अंतरिक्ष में बड़े और महत्वाकांक्षी पहल की हैं। जापान की तकनीक और भारत का टैलेंट मिलकर इस सदी की टेक क्रांति का नेतृत्व कर सकते हैं।


