ऑनलाइन मनी गेमिंग पर सरकार ने कसा शिकंजा
सख्त कानून रोकेगा धन की बर्बादी
Photo: PixaBay
.. ज्ञानचंद जैन ..
जुए और सट्टे की लत लोगों को बर्बाद कर देती है। जुए के कारण पांडव अपना राज्य और पत्नी द्रोपदी तक को हार गए थे। जुआ बहुत बड़ी बुराई है। जिसे इसकी लत लग जाती है, वह अपना धन, जायदाद सबकुछ लुटा बैठता है। वह दांव पर दांव लगाता जाता है कि कभी तो जीतेगा। यही लालच उसे कंगाल कर देता है। अपनी हार से व्यथित होकर कुछ लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं।जुए के अनेक रूप होते हैं। इनमें ताश, चौपड़, सट्टा मुख्य हैं। आजकल जुआ ऑनलाइन गेमिंग का रूप ले चुका है। मोबाइल पर कई तरह के गेमिंग ऐप हैं, जो लोगों को लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं। लोग इस लालच में ऐसे फंसते हैं कि हजारों-लाखों रुपए गंवा बैठते हैं। चूंकि यह ऑनलाइन गेम है, तो इसमें उनका खाता भी खाली हो सकता है। अपने इस नुकसान को पूरा करने के लिए कुछ लोग चोरी तक करते हैं। कुछ लोग कर्ज लेकर नुकसान की भरपाई करने की सोचते हैं। इस तरह वे जुए के दलदल में बुरी तरह फंसते चले जाते हैं।
कई परिवार पीड़ित
देश में काफी दिनों से ऑनलाइन मनी गेमिंग पर रोक लगाने की मांग की जा रही थी, क्योंकि इसके कारण कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं। सरकार ने इस मांग को गंभीरता से लिया है। पिछले दिनों 'ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025' लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर दिया गया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून भी बन गया। इसका उद्देश्य रियल मनी गेमिंग यानी पैसे लगाकर खेले जाने वाले गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना है। सरकार इस कानून के जरिए ई-स्पोर्ट्स जैसे ऑनलाइन खेलों को बढ़ावा देगी, जिसमें कोई पैसा नहीं लगाना पड़ेगा। इससे देश में प्रतिस्पर्द्धी खेल के रूप में ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिल सकेगा।
यह कानून न केवल भारत में काम करने वाली कंपनियों पर, बल्कि विदेश से ऑपरेट होने वाले ऑनलाइन मनी गेमिंग ऐप्स और वेबसाइटों पर भी लागू होगा। कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान रखा गया है। रियल मनी गेमिंग करने पर तीन साल तक की जेल या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। कानून में इससे संबंधित विज्ञापनों पर भी रोक का प्रावधान है। आजकल फिल्म व खेल जगत से जुड़े मशहूर लोग ऑनलाइन गेमिंग का विज्ञापन कर रहे हैं। ये सोचते भी नहीं कि इस तरह के विज्ञापनों से नई पीढ़ी पर क्या प्रभाव पड़ेगा! अब इस तरह के विज्ञापन करने पर दो साल तक की जेल या 50 लाख रुपए तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
गेमिंग प्लेटफॉर्म के विज्ञापनों पर रोक लगाने के साथ ही बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों को उन्हें मनी ट्रांजेक्शन रोकने का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि मनी गेमिंग के जाल में फंसकर कई लोग अपनी जिंदगीभर की जमा-पूंजी से हाथ धो बैठते हैं। सरकार इस तरह के जोखिम कम करने के लिए कानून लाई है। सरकार का कहना है कि वह लोगों को बर्बादी के रास्ते पर जाने से रोकेगी। उनके जीवन से खिलवाड़ नहीं होने देगी। सरकार का मानना है कि मनी गेमिंग की आड़ में कई कंपनियां मनी लांड्रिंग, आतंकवाद के लिए फंडिंग और आतंकवादी संगठनों द्वारा संदेश भिजवाने का काम भी कर रही हैं, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
अनुमान है कि देश के करीब 45 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग के चंगुल में फंसे हुए हैं। इसके चक्कर में लोग सालाना 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान उठाते हैं। उक्त कानून लागू होने से लोग ऑनलाइन मनी गेम नहीं खेल पाएंगे। उनके 20 हजार करोड़ रुपए भी बचेंगे।
सरकार का सराहनीय कदम
भारत सरकार की सराहना करनी पड़ेगी कि ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के व्यापक विरोध के बावजूद वह इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधेयक लाई और कानून बनाकर उसे लागू कर दिया। सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसका अनुपालन कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होगी। उन्होंने भी इससे संबंधित तमाम प्रक्रियाएं शुरू कर दी हैं, ताकि कानून को सख्ती से लागू किया जा सके।
कोई संदेह नहीं कि सरकार ने इस संबंध में बहुत सख्त कानून बनाया है। यह जरूरी था, क्योंकि मनी गेमिंग की लत लगने से लोग अपना पैसा तो गंवा ही रहे थे, कई युवाओं ने जान भी गंवा दी थी। समाज को सुधारने की दिशा में यह बहुत बड़ा कदम है। सरकार ने तो अपनी जिम्मेदारी पूरी कर दी। अब राज्य सरकारों पर निर्भर है कि वे इसे प्रभावी ढंग से लागू करें। साथ ही, जनता की भी जिम्मेदारी है कि वह राज्य सरकारों का साथ दे। किसी बुराई को छोड़ने के लिए कानून की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए, लेकिन कोई बुराई जब नासूर बन जाए तो उसे फैलने से रोकने के लिए कानून बनाना पड़ता है। उम्मीद है कि ऑनलाइन गेमिंग बंद होने से लोग खुशहाल जिंदगी की ओर बढ़ सकेंगे।


