यह आज़ादी अडिग रहे
हमें अतीत से सबक लेना होगा
स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभ कामनाएं
स्वतंत्रता दिवस का यह प्रभात कुछ नए संकल्प लेने और पुराने संकल्प दृढ़ता से निभाने को समर्पित होना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने इस दिन के लिए वर्षों तपस्या की थी। हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो आज आज़ादी की खुली हवाओं में सांस ले रहे हैं। हमारी आज़ादी अडिग रहे, मजबूत रहे, इसके लिए हमें अतीत से सबक लेते हुए भविष्य की योजना बनानी होगी। हमें उन कारणों को पहचानना होगा, जो हमारे पूर्वजों को गुलामी की ओर लेकर गए थे। जब-जब समाज कमजोर हुआ है, 'हम' की जगह 'मैं' का बोलबाला हुआ है, तब-तब देश की ताकत में कमी आई है। हमें जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता के बंधनों को तोड़ना होगा। हम भारतीय हैं। हमें इस संकल्प पर दृढ़ रहना होगा कि हमारी एकता को कोई नहीं तोड़ सकता। जब विदेशी आक्रांता यहां आए थे तो उन्होंने वे सभी पैंतरे आजमाए थे, जो समाज में दरारें पैदा करें। आज भी ऐसे तत्त्वों की कमी नहीं है, जो इस ताक में बैठे हैं कि कब कोई गड़बड़ हो और वे मौके का फायदा उठाएं। इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें यह संकल्प जरूर लेना चाहिए कि हम अपने देश को स्वच्छ रखेंगे। आज कई जगहों पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं, सार्वजनिक इमारतों की दीवारें पीक से रंगी हुई हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हमारे देश को साफ रखने की जिम्मेदारी हमारी है। क्या वजह है कि जापान, सिंगापुर, जर्मनी, दक्षिण कोरिया जैसे देश इतने साफ-सुथरे हैं, जबकि हमारे यहां स्थिति बिल्कुल अलग है? जब तक देशवासी स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा नहीं बनाएंगे, यह तस्वीर बदलने वाली नहीं है। स्वच्छता के लिए हर व्यक्ति को पहल करनी होगी।
अंग्रेजों ने हमारे देश को गुलाम बनाने के लिए इसकी अर्थव्यवस्था पर कब्जा किया था। उन्होंने साजिश रचकर हमारे उद्योग-धंधों को नष्ट किया था। हमारी आज़ादी अटल रहे, इसके लिए जरूरी है कि हमारी अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत हो। नौजवानों को चाहिए कि वे पढ़ाई के साथ कम-से-कम कोई दो हुनर ऐसे सीखें, जिनमें रोजगार की संभावनाएं हों। जिस देश में लोग अपने रोजगार में व्यस्त होते हैं, वहां कई समस्याओं का समाधान अपनेआप हो जाता है। भारत में इंटरनेट सुलभ होने से कई काम आसान हुए हैं। हालांकि इसके जरिए एक ऐसा जहर हमारे देशवासियों के दिलो-दिमाग में घोला जा रहा है, जिसके नतीजे बहुत खतरनाक हो सकते हैं। आज ऐसे कई ऑनलाइन ऐप चल रहे हैं, जो लोगों को जुए, सट्टे पर दांव लगाकर अमीर बनने का झांसा दे रहे हैं। उनके फेर में पड़कर बहुत लोग जीवनभर की बचत गंवा चुके हैं। कई तो कर्ज में डूब चुके हैं। ऐसे ऐप्स की शिकायतें खूब आ रही हैं, जो तुरंत कर्ज उपलब्ध कराने का वादा कर बहुत ऊंची दर पर ब्याज वसूल रहे हैं। यही नहीं, कई लोग आरोप लगा चुके हैं कि उन्होंने पूरा कर्ज चुका दिया, लेकिन उनसे वसूली जारी है। जब लोगों की आर्थिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी तो उनका भविष्य क्या होगा? ऐसे ऐप्स के खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, देशवासियों को इनसे सावधान रहना चाहिए। बेहतर होगा कि अपने मोबाइल फोन में ऐसे ऐप्स डाउनलोड ही न करें। किसी भी क्षेत्र में उन्नति करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा होनी चाहिए। भारत दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हमें इससे और आगे जाना है। आज कई टीवी तथा सोशल मीडिया चैनलों पर भारत और पाकिस्तान की तुलना की जाती है! हमें इससे परहेज करना चाहिए। अगर तुलना करनी है, प्रतिस्पर्द्धा करनी है तो चीन और अमेरिका जैसे देशों से करनी चाहिए। हमें दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनानी है। प्रथम स्थान से कम, कुछ भी स्वीकार्य नहीं है। स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभ कामनाएं।

