'विकसित भारत' की रूपरेखा

कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता

'विकसित भारत' की रूपरेखा

देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण में 'विकसित भारत' बनाने के लिए भविष्य की रूपरेखा पेश की है। उन्होंने जिन बिंदुओं का उल्लेख किया, उन पर दृढ़ता से काम होना चाहिए। इंटरनेट के इस दौर में जब नागरिक यह देखते हैं कि विकसित देशों में लोगों के पास कितनी सुविधाएं हैं, तो वे भी चाहते हैं कि हमारा देश उन्नति करे। अगर सरकार का संकल्प दृढ़ हो और देशवासियों में एकता की भावना मजबूत हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। प्रधानमंत्री ने सत्य कहा है कि 'एक राष्ट्र के लिए आत्मसम्मान की सबसे बड़ी कसौटी आज भी उसकी आत्मनिर्भरता है।' हमें हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना पड़ेगा। आज जिस तरह कुछ अंतरराष्ट्रीय ताकतें धन के अहंकार में हमें आंखें दिखा रही हैं, उसके बाद आत्मनिर्भरता हमारे लिए अनिवार्यता है। इसका कोई विकल्प नहीं है। जैसे-जैसे देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। भारत सरकार ने सौर ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन में करोड़ों रुपए का निवेश कर दूरदर्शितापूर्ण फैसला लिया है। पिछले 11 वर्षों में सौर ऊर्जा में 30 गुणा बढ़ोतरी होना बताता है कि भारत स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके लिए देशवासियों में जागरूकता बढ़ रही है। भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए वर्ष 2030 तक 50 प्रतिशत का लक्ष्य रखा था, जो वर्ष 2025 में ही हासिल कर लिया। यूपीआई के प्रदर्शन ने दुनिया को अचंभित कर दिया है। रियल टाइम ट्रांजैक्शन में 50 प्रतिशत अकेला भारत यूपीआई के माध्यम से कर रहा है! भविष्य में इसमें और बढ़ोतरी होने की भरपूर संभावना है। भारत ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में जो प्रगति की है, उससे विकसित देश भी सीख सकते हैं।  

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प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में 'स्वदेशी' चीजों को बढ़ावा देने पर खास जोर दिया है। वे पहले भी विभिन्न मंचों से यह आह्वान करते रहे हैं। अब उनके द्वारा दिए गए सुझाव कि देश में ऐसे व्यापारी आगे आएं, जो यह बोर्ड लगाएं कि 'यहां स्वदेशी माल बिकता है', ने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों की यादें ताजा कर दीं। उस समय राष्ट्रवादी विचारों के समर्थक कई व्यापारी ऐसा करते थे। अगर आप उस दौर में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाएं देखेंगे, जो अब कई डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं, तो उनमें यह अपील नजर आएगी। कई व्यापारी अपने विज्ञापनों में लिखते थे- 'सिर्फ हिंदुस्तानी माल उपलब्ध।' ऐसा आज भी हो सकता है। इसके लिए उचित माहौल के साथ स्वदेशी चीजों की गुणवत्ता में बहुत सुधार करना पड़ेगा। अब उपभोक्ता की पसंद और विचारों में बहुत बदलाव आ गया है। उसके सामने ढेरों विकल्प मौजूद हैं। ऐसे में वह उसी चीज को खरीदना चाहेगा, जिसकी गुणवत्ता बेहतर हो, जो उसके बजट में हो और जिस तक पहुंच आसान हो। प्रधानमंत्री ने जिस डेमोग्राफी मिशन को शुरू करने की बात कही है, उसकी प्रतीक्षा लोग वर्षों से कर रहे थे। सरकार को इस ओर बहुत गंभीरता से ध्यान देना होगा। देश के लिए आर्थिक समृद्धि जरूरी है, लेकिन उसकी सुरक्षा उसी सूरत में हो सकती है, जब डेमोग्राफी सुरक्षित हो, देश सुरक्षित हो। किसी ज़माने में काबुल, कंधार, पेशावर, लाहौर, कराची, ढाका जैसे शहरों में हमारे पूर्वजों की बड़ी-बड़ी हवेलियां थीं। जब डेमोग्राफी बदली तो रातोंरात सबकुछ छोड़कर आना पड़ा था। आज भी कई इलाकों की डेमोग्राफी बदलने की शिकायतें आ रही हैं। उन्हें यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वह घुसपैठियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, उन्हें उनके देश रवाना करे। अन्यथा भविष्य में कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

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