मोदी ने लाल किले से आरएसएस प्रचारक के रूप में भाषण दिया: सिद्दरामय्या
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने लगाए कई आरोप
Photo: @siddaramaiah X account
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र के नाम संबोधन में आरएसएस की तारीफ करना स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय ध्वज और संविधान की सच्ची आकांक्षाओं का अपमान है।
सिद्दरामय्या ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस समारोह के पवित्र मंच का दुरुपयोग आरएसएस को बधाई देकर किया है, जिसने कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया और हाल तक अपने कार्यालय में हमारा गौरवशाली तिरंगा फहराने से इन्कार किया था।मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्र भारत में भाजपा समेत किसी भी पार्टी के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के मंच का इस तरह राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया। नरेंद्र मोदी ने इस मंच, जिसका देश की जनता सम्मान करती है, की गरिमा और सम्मान को धूमिल किया है।
सिद्दरामय्या ने दावा किया कि इतिहास के पन्नों में आरएसएस नेताओं के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसी तरह, नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में वर्ष 2001 तक गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया जाता था। देश के लोग यह नहीं भूले हैं कि वर्ष 2001 में आरएसएस ने झंडा फहराने वाले अपने ही संगठन के युवाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर उन्हें जेल भेज दिया था।
उन्होंने कहा कि लाल किला भारतीय जनता पार्टी का कोई राजनीतिक मंच नहीं है। यह एक ऐसा स्थान है जहां सभी जाति, धर्म, दल और संप्रदाय के लोग स्वतंत्रता दिवस के गैर-पक्षपातपूर्ण समारोह में भाग लेते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नरेंद्र मोदी ने ऐसे पवित्र मंच पर प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि एक आरएसएस प्रचारक के रूप में भाषण दिया।
सिद्दरामय्या ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने पिछले ग्यारह सालों में स्वतंत्रता दिवस पर आरएसएस को याद नहीं किया, इस बार भी आरएसएस की सेवा को उसकी प्रशंसा मात्र से याद नहीं कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह उनकी घटती लोकप्रियता से उनमें पैदा हुई असुरक्षा की भावना है। पिछले चुनावों में मिली हार के बाद मोदी अपने मूल संगठन के आगे नतमस्तक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आरएसएस, जिसे नरेंद्र मोदी दुनिया का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन बताते हैं, एक ऐसा संगठन है जो आज तक आधिकारिक रूप से पंजीकृत नहीं है, जनता से चंदा तो लेता है, लेकिन टैक्स नहीं देता और संविधान विरोधी गतिविधियों में लिप्त है। देश की जनता देख चुकी है कि आरएसएस पारदर्शिता और जवाबदेही से रहित एक गुप्त संगठन के रूप में काम कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सांप्रदायिकता की सांस लेने वाला आरएसएस, हिंदू धर्म को राजनीतिक हथियार बनाकर भारतीयों को बांटने और भारतीय जनता पार्टी को राजनीतिक रूप से मजबूत करने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। यह सिद्ध हो चुका है कि उनमें देश या हिंदू धर्म के प्रति कोई प्रेम, गौरव या प्रतिबद्धता नहीं है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि मैं इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस समारोह के मंच का दुरुपयोग आरएसएस को बधाई देने के लिए किया, से आग्रह करता हूं कि वे अपने शब्द वापस लें और देश की जनता से माफी मांगें।


