सरल व्यक्ति के लिए सबके दरवाजे हमेशा खुले होते हैं: आचार्य विमलसागरसूरी
आचार्य ने कहा कि सरलता जीवन का महान गुण है

सरल हृदय में ही दैवत्व और विद्याओं का निवास हाे सकता है
शिवपुरा/दक्षिण भारत। मंगलवार काे शिवपुरा के लिंगायत समुदाय भवन में कडुर, बिरूर, तरीकेरे, चिकमगलूर, हाेसदुर्गा और हिरियूर के श्रद्धालुओं काे मार्गदर्शन देते हुए जैनाचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि पृथ्वी पर सबसे अच्छा जीवन मनुष्य का है और वह किसी का बुरा करने के लिए नहीं मिला है। सत्ताओं काे प्राप्त करने या सफल हाेने के लिए खेले जाते राजनीतिक और कूटनीतिक दांवपेचाें का भी काेई भविष्य नहीं है।
हमें सदैव यह याद रखना चाहिए कि ज्ञान, धन और सत्ता की शक्ति लाेगाें की भलाई में लगनी चाहिए, किसी के शाेषण में नहीं लगानी चाहिए। इसी प्रकार हमें मिला हुआ भरण-पाेषण का सामर्थ्य परपीड़ा का कारक नहीं बनना चाहिए। नायक और शासक पक्षपातपूर्ण नहीं हाेने चाहिएं। वे सुख-शांति और न्याय देने वाले हाेने चाहिएं। ऐसे लाेग कभी भुलाएं नहीं जाते। उन्हें जमाना सदा याद रखता है।आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि सरलता जीवन का महान गुण है। जाे सरल हाेते हैं, वे सभी जगह विश्वास और सम्मान पाते हैं। सरल व्यक्ति के लिए सबके दरवाजे हमेशा खुले हाेते हैं। यह गुण मनुष्य की सदैव याद दिलाता है। साैभाग्यशाली हाेते हैं ऐसे लाेग जिनकाे सरलता से ओतप्राेत पवित्र हृदय मिला हाेता है।
सरल हृदय में ही दैवत्व और विद्याओं का निवास हाे सकता है। कपट विद्या कला ताे है, पर मनुष्य काे सभी से दूर कर देती हैं। कुटिल व्यक्ति पर काेई भराेसा नहीं करता। माया-कपट के रास्ते पर अगर कभी सफलता मिल भी जाती है ताे पुण्य के इस खेल पर बहुत इतराने जैसा नहीं है।
सरलता भयरहित, सन्देहमुक्त, शाश्वत और सुख-शांतिदायी है। मनुष्य काे सरल हाेने का सदैव प्रयत्न करना चाहिए। अपनी बुद्धिमत्ता और कुटिलता पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए। संसार का हजाराें वर्षाें का इतिहास साक्षी हैं कि माया-कपट करने वालाें का हमेशा दुःखद अंत हुआ।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी और गणि पद्मविमलसागरजी बुधवार काे पदयात्रा करते हुए तरीकेरे पहुंचेंगे। वहां प्रातः धर्मसभा हाेगी। शुक्रवार काे प्रातः वे भद्रावती पहुंचेंगे।