स्थानीय निकाय चुनाव के लिए न्यायालय ने सीमा निर्धारित की

स्थानीय निकाय चुनाव के लिए न्यायालय ने सीमा निर्धारित की

चेन्नई/दक्षिण भारतमंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय में राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने के संबंध में दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान गर्मागर्म बहस हुई। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को ६ अगस्त तक स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया। न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि वह न्यायालय द्वारा निर्धारित समय के अंदर यह बताए कि राज्य में निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने का कार्यक्रम क्या है? न्यायालय ने कहा कि यदि आयोग द्वारा न्यायालय द्वारा निर्धारित समय के अंदर न्यायालय को स्थानीय निकाय चुनाव के कार्यक्रम का ब्यौरा नहीं सौंपा जाता है या चुनाव नहीं कराया जाता है तो आयोग के अधिकारियों को अदालत की अवमानना का सामना करना प़ड सकता है।मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी ने राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता नेदंुचेंझियन के समक्ष कई प्रश्न उठाए। न्यायाधीश ने पूछा कि क्या सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में चुनाव नहीं कराने के लिए स्थगन आदेश जारी कर दिया है? यदि सर्वोच्च न्यायाल ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने पर स्थगन आदेश दिया है तो आदेश की प्रति कहां है? मौजूदा समय में सर्वोच्च न्यायालय में राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव से संबंधित मामले की स्थिति क्या है? मुख्य न्यायाधीश द्वारा इन सभी प्रश्नों को पूछे जाने पर कहा कि राज्य में विभिन्न स्थानीय निकायों की सरहदबंदी का कार्य किया जा रहा है और इस कार्य के पूरा होने के बाद ही स्थानीय निकाय चुनाव हो सकता है।इस मामले में द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(द्रमुक) की ओर से याचिका दायर की गई थी और द्रमुक की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अभिवक्ता पी विल्सन ने कहा कि चूंकि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराया गया है इसलिए राज्य सरकार को केन्द्र सरकार द्वारा हर वर्ष स्थानीय निकाय चुनावों को दिए जाने वाले अनुदान के मद में ४००० करो़ड रुपए की राशि प्राप्त नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश जारी करने के बाद भी आयोग द्वारा इस आदेश का पालन नहीं किया गया है और इस संबंध में एक अवमानना याचिका भी दायर की गई है। यह सुनने के बाद न्यायाधीश बनर्जी ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर होने के बाद भी कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। इसके बाद उन्होंने इस मामले की सुनवाई थो़डी देर के लिए स्थगित कर दी।मंगलवार को जब दोबारा इस मामले पर सुनवाई हुई तो न्यायाधीश नेदुचेंेझियन और विल्सन की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि इस मामले की सुनवाई आगामी सोमवार तक के लिए स्थगित की जा रही है और यदि आयोग द्वारा सोमवार तक स्थानीय निकाय चुनाव की तिथि घोषित नहीं की जाती है तो निर्वाचन आयुक्त और सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरु की गई है। ज्ञातव्य है कि राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल २४ अक्टूबर २०१६ को समाप्त हो गया और इसके बाद से स्थानीय निकायों से संबंधित सभी प्रशासनिक कार्य राज्य सरकार द्वारा नियुक्त विशेष अधिकारियों द्वारा किए जा रहे हैं।

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