सियासत में अभिनेताओं के आगमन से क्या आएगा बदलाव?

सियासत में अभिनेताओं के आगमन से क्या आएगा बदलाव?

चेन्नई। अभिनेता कमल हासन ने बुधवार को राज्य की सियासत में औपचारिक प्रवेश की घोषणा कर दी। सुपरस्टार रजनीकांत पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी आगामी तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सभी २३४ सीटों पर चुनाव ल़डेगी। जयललिता की मौत के बाद पिछले कई दशकों से सितारों की प्रभावशाली मौजूदगी वाली तमिल सियासत में एक शून्य बना है। पहले रजनीकांत और फिर कमल हासन की रजनीतिक चहलकदमी को इसी शून्य को भरने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि तमिल सियासत में सितारों के आगमन के बाद राजनीति में क्या बदलाव आए।€द्भय् त्त्श्न्यप्ठ्ठणक्क द्यय्ज्द्मर्‍्यत्र ·र्ैंय् द्मद्भय् घ्ष्ठब्द्यय् द्धद्मष्ठ्रख्ष्ठ ब्य्फ्द्म? वैसे तो तमिल राजनीति में कई स्टारों ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन असल सफलता दो को ही मिली। पहले एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और फिर जयललिता। दक्षिण की द्रवि़ड राजनीति का एक सशक्त चेहरा बनने के बाद एमजीआर की विरासत को जयललिता ने आगे ब़ढाया। द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(द्रमुक)और अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम(अन्नाद्रमुक) दोनों ही द्रवि़ड राजनीति के प्रतिनिधि होने का दावा करती हैं। कमल हासन ने भी पार्टी शुरु करने से पहले एक कार्यक्रम में कहा कि ’’द्रवि़ड विचारधारा मेरी पार्टी का हिस्सा होगी। मैं श्रेष्ठ महान विचारधाराओं को ढूंढ रहा हूं जो मेरी पार्टी का विजन तैयार करेंगी।’’ इससे स्पष्ट है कि कमल हासन द्रवि़ड राजनीति का नया चेहरा बनने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जयललिता के निधन के बाद इसकी संभावना भी नजर आ रही है। €द्भय् त्त्श्नद्बरु·र्ैं ·द्द फ्य्त्र् ज्य्ॅैंख्ष्ठ ब्य्फ्द्म? हालांकि कमल हासन ने सत्तारु़ढ अन्नाद्रमुक से अपना विरोध जाहिर कर दिया है। हासन से जब राजनीति में उतरने की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा था कि सत्ताधारी अन्नाद्रमुकबुरी है इसलिए उन्हें यह कदम उठाना प़ड रहा है। राजनीतिक पार्टी की घोषणा से पहले कमल हासन ने रविवार को द्रमुक सुप्रीमो करुणानिधि से मुलाकात की थी। हासन ने इस मुलाकात के बाद कहा था कि अगर द्रमुक उनकी शुरु होने वाली पार्टी की विचारधारा से खुद को मिलाती है तो गठबंधन की संभावना पर विचार किया जा सकता है। अन्नाद्रमुक का खुला विरोध और द्रमुक के लिए खुला दिल दिखा कर कमल हासन अपनी सियासत को लेकर एक संकेत देते नजर आ रहे हैं।द्यय्ज्द्मर्‍्यत्र द्बष्ठ्र द्यज्द्मर्‍·र्ैंय्ैंत्र ृय्स्द्य द्नय्ज्झ्य् ृय्ॅैंख्ष्ठ फ्य्त्र्? कमल हासन से पहले रजनीकांत तमिलनाडु की सियासत में सक्रिय हो चुके हैं। रजनीकांत को भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) का खुला समर्थन मिल रहा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तमिलसै सौंदरराजन ने तो यहां तक कह दिया है कि वर्ष २०२१ में राज्य विधानसभा चुनाव ल़डने से पहले राजनीकांत की पार्टी २०१९ में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा होंगे। प्रदेश भाजपा रजनीकांत को अपना स्वभाविक सहयोगी मान रही है। ऐसे में पार्टी की घोषणा से पहले कमल हासन ने अपना भगवा विरोध भी जाहिर कर दिया है। रजनीकांत के साथ सियासी तालमेल के सवाल पर हासन ने कहा था कि ’’रजनीकांत की राजनीति में भगवा रंग दिखाई प़डता है। अगर यह बदलता नहीं है तो मैं उनके साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं देख रहा हूं्। हम अच्छे दोस्त हैं लेकिन राजनीति अलग है।’’ द्यज्द्मर्‍·र्ैंय्ैंत्र ·र्ैंर्‍ द्यय्ज्द्मर्‍्यत्र ·र्ैंर्‍ ·र्ैंय्ट्ट ब्स्र ब्य्फ्द्म? जयललिता के कमजोर होने के बाद अन्नाद्रमुक के एक गुट को समर्थन देकर भाजपा तमिल सियासत में अपनी राह बनाने में जुटी है। अन्नाद्रमुक संयोजक और उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने पिछले दिनों बयान दिया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कहने पर ही उन्होंने पार्टी के पलानीस्वामी गुट से हाथ मिलाया था। ऐसे में कमल हासन के राज्य की राजनीति में आगमन से तमिल सियासत में भाजपा के बढते कदमों को रोकने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इन स्थितियों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि पन्नीरसेल्वम और रजनीकांत राज्य में भाजपा को मजबूती देेने में मददगार साबित हो सकते हैं। पन्नीरसेल्वम और रजनीकांत दोनों का ही भाजपा के प्रति झुकाव है। पिछले कुछ समय से राज्य की राजनीति में द्रवि़ड राजनीति की पक़ड कमजोर होने की बात भी कही जाती रही है और आगामी विधानसभा चुनाव में यह देखना रोचक होगा कि यह बात कितनी सच साबित होती है और कितनी झूठ।

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