चीनी दुष्प्रचार का जाल

भारत के खिलाफ भ्रामक सूचनाएं फैलाने में चीन पीछे नहीं है

चीनी दुष्प्रचार का जाल

जो व्यक्ति लगातार इस दुष्प्रचार को सुनेगा, क्या वह भ्रमित नहीं होगा?

भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के कई समाचार चैनलों और वेबसाइटों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पाबंदी लगाए जाने के बाद चीनी मीडिया समूहों के खिलाफ की गई कार्रवाई स्वागत योग्य है। हमारे देश में पाकिस्तानी मीडिया के बारे में तो काफी बातें होती हैं। इसकी एक वजह भाषा की समानता हो सकती है, क्योंकि हिंदी / उर्दू जानने वाले लोग एक-दूसरे की भाषा अच्छी तरह समझ जाते हैं। वहीं, चीनी मीडिया के बारे में ज्यादा बातें नहीं होतीं। भारत में आम लोगों को चीनी भाषा नहीं आती। हालांकि चीनी मीडिया अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, बांग्ला, उर्दू समेत ऐसी कई भाषाओं में 'समाचार' प्रकाशित और प्रसारित करता है, जिन्हें भारत में लोग समझते हैं। भारत के खिलाफ भ्रामक, असत्य, बनावटी सूचनाएं फैलाने में चीन पीछे नहीं है। उसके कार्यक्रम इस तरह तैयार किए जाते हैं कि कई लोगों के मन में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विचारों के प्रति श्रद्धा होने लगती है। उन कार्यक्रमों में तिब्बत पर चीन के अवैध कब्जे को सही ठहराने के लिए कुतर्क पेश किए जाते हैं। लोगों को बताया जाता है कि आज तिब्बत की जनता के पास आवास, भोजन और खुशहाली है! इस बात का विश्वास दिलाया जाता है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पास हर समस्या का समाधान है। जो व्यक्ति लगातार इस दुष्प्रचार को सुनेगा, क्या वह भ्रमित नहीं होगा? हाल के वर्षों में कई चीनी वेबसाइट भारत को निशाना बनाते हुए हिंदी और अंग्रेजी में बहुत सामग्री परोस चुकी हैं। उन पर प्रकाशित आलेखों को अत्यंत विद्वतापूर्ण बताकर प्रचारित किया गया है, जबकि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के गुणगान से भरे हुए थे।

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फेसबुक, एक्स और वॉट्सऐप पर ऐसे कई अकाउंट, पेज और समूह बने हुए हैं, जिनमें चीन की उज्ज्वल छवि दिखाने की कोशिश की जाती है। उनमें बताया जाता है कि चीन ने बहुत ज्यादा विकास कर लिया है, वह अमेरिका को टक्कर दे रहा है, उसके यहां निवेश के अनुकूल माहौल है और कोई बड़ी समस्या नहीं है ...! आश्चर्यजनक रूप से इन पेजों और समूहों आदि से बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक जुड़े हुए हैं। कभी सोचा है- जब चीन इतना खुशहाल है तो उसकी उज्ज्वल छवि चीनी नागरिकों को क्यों नहीं दिखाई जाती? वहां पश्चिमी सोशल मीडिया ऐप्स पर पाबंदी क्यों है? वास्तव में चीन यह सामग्री भारत और उन देशों को दिखाना चाहता है, जहां उक्त ऐप्स चलते हैं। एआई आने के बाद चीनी दुष्प्रचार को और धार मिल गई है। उदाहरण के लिए- पर्यटन से संबंधित चीनी सोशल मीडिया पेजों पर आपको बहुत सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे। उनकी कुछ तस्वीरें तो ऐसी हैं, जिन्हें देखकर किसी को भी भ्रम हो सकता है कि स्वर्ग ही धरती पर उतर आया! इन तस्वीरों से आकर्षित होकर दुनियाभर से लोग चीन घूमने चले जाते हैं। वहां पहुंचकर पता चलता है कि बताई गई जगह उतनी सुंदर भी नहीं थी। वहां भीड़ ही भीड़ थी। पिछले कुछ वर्षों में चीन नए-नए शिगूफे छोड़ रहा है। जैसे- हर दो-चार महीनों में चीन हमारे इलाकों के चीनी नामकरण कर देता है। कभी वह अरुणाचल प्रदेश को द. तिब्बत बताकर उस पर अवैध दावा करता है, कभी नत्थी वीजा मामले को उछालता है। जब कभी केंद्र सरकार के मंत्री अरुणाचल प्रदेश का दौरा करते हैं या वहां विकास परियोजना की शुरुआत होती है तो चीन आपत्ति जताता है। उसकी ये हरकतें अब हास्यास्पद रूप लेती जा रही हैं। किसी इलाके का चीनी नाम रख देने से क्या वह चीन का हो जाएगा? दरअसल चीन बार-बार एक ही झूठ को इसलिए दोहरा रहा है, ताकि लोग भ्रमित होकर उसे सच मान लें। इस काम में उसका मीडिया भोंपू की भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार को उस पर पाबंदी लगाने में देर नहीं करनी चाहिए।

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