पाकिस्तान जहां खड़ा होता है, वहीं से मांगने वालों की लाइन शुरू होती है: राजनाथ सिंह
'आतंकवाद के ख़िलाफ़ हम किसी भी हद तक जा सकते हैं'

Photo: @rajnathsingh X account
श्रीनगर/दक्षिण भारत। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को श्रीनगर के बादामी बाग कैंट में भारतीय सैनिकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले लोगों और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को नमन किया। उन्होंने घायल सैनिकों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आपने जो कुछ किया, उसने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। मैं अभी भले ही आपका रक्षा मंत्री हूं, लेकिन उससे पहले तो भारत का नागरिक हूं। रक्षा मंत्री के साथ-साथ, मैं आज, भारत के नागरिक के रूप में भी आपका आभार प्रकट करने आया हूं।राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं आपकी उस ऊर्जा को महसूस करने आया हूं, जिसने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया। आपने जिस तरीके से, सीमा के उस पार पाकिस्तान की चौकियों और बंकरों को धवस्त किया, दुश्मन उसे कभी भूल नहीं पाएगा। आपने देखा होगा कि आमतौर पर लोग जोश में होश खो देते हैं, लेकिन आपने जोश भी रखा, होश भी रखा और सूझबूझ के साथ दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं पूरे देश की शुभकामनाएं, प्रार्थनाएं और कृतज्ञता लेकर आपके बीच आया हूं। एक तरह से समझिए कि मैं एक डाकिया बनकर आपके बीच आया हूं। संदेश यह है कि हमें हमारी सेनाओं पर गर्व है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक ऑपरेशन का नाम नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिबद्धता है। एक ऐसी प्रतिबद्धता, जिसमें भारत ने दिखा दिया, कि हम सिर्फ रक्षा नहीं करते, जब वक्त आता है तो कठोर निर्णय भी लेते हैं। यह ऑपरेशन उस एक-एक जवान की आंखों में देखा गया सपना था कि हर आतंकी ठिकाना, चाहे वो घाटियों में छुपा हो या बंकरों में दबा हो, हम वहां पहुंचेंगे और दुश्मन की छाती चीरकर, हम उन आतंकी ठिकानों को खत्म करके ही लौटेंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत द्वारा चलाई गई अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी कार्रवाई है। पैंतीस-चालीस वर्षों से भारत सरहद पार से चलाए जा रहे आतंकवाद का सामना कर रहा है। आज भारत ने पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पहलगाम में आतंकवादी घटना को अंजाम देकर भारत के माथे पर चोट पहुंचाने का काम किया, भारत की सामाजिक एकता को तोड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने भारत के माथे पर वार किया, हमने उनकी छाती पर घाव दिए हैं। पाकिस्तान के ज़ख्मों का इलाज इसी बात में है कि वह भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे, अपनी ज़मीन का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ न होने दे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आपको याद होगा कि लगभग इक्कीस साल पहले अटलजी के सामने इसी पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में डिक्लेरेशन किया था कि अब उनकी धरती से आतंकवाद एक्सपोर्ट नहीं किया जाएगा। मगर पाकिस्तान ने भारत को धोखा दिया और आज भी धोखा दिए जा रहा है। इसका ख़ामियाज़ा अब उसको भारी क़ीमत अदा करके भुगतना पड़ रहा है। यह क़ीमत लगातार बढ़ने वाली है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक शब्दों में आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की नीति को फिर से परिभाषित कर दिया है, जो यह कहती है कि हिंदुस्तान की सरज़मीं पर किया गया कोई भी आतंकी हमला एक युद्ध का कृत्य माना जाएगा। दोनों देशों में जो समझ अभी बनी है, वह इसी बात को लेकर है कि सरहद पार से कोई बेजा हरकत नहीं की जाएगी। अगर की गई तो बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी। साथ ही हमारे प्रधानमंत्री ने यह भी साफ़ कर दिया है कि आतंकवाद और बात एक साथ नहीं चलेंगे और अगर बात होगी तो आतंकवाद पर होगी, पीओके पर होगी।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी ने पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों और उनके आकाओं को भी यह साफ़ बता दिया है कि वे कहीं भी अपने आप को महफूज़ और सुरक्षित न समझें। अब वे भारतीय सेनाओं के निशाने पर हैं। दुनिया जानती है, हमारी सेनाओं का निशाना अचूक है और वे जब वो निशाना लगाती हैं तो गिनती करने का काम दुश्मनों पर छोड़ देती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत की प्रतिज्ञा कितनी कठोर है, इसका पता इसी बात से चलता है कि हमने उनके न्यूक्लियर ब्लैकमेल की भी परवाह नहीं की है। पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे ग़ैर ज़िम्मेदाराना तरीक़े से पाकिस्तान द्वारा भारत को अनेक बार एटमी धमकियां दी गईं हैं। आज श्रीनगर की धरती से मैं पूरी दुनिया के सामने यह सवाल उठाना चाहता हूं कि क्या ऐसे ग़ैर ज़िम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मैं मानता हूं कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को आईएईए की निगरानी में लिया जाना चाहिए।
रही बात पाकिस्तान की, तो उसकी मैं बात ही क्या करूं आपसे। वह देश तो मांगते-मांगते अपनी जहालत से एक ऐसी हालत में आ गया है कि उसके बारे में यह भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान जहां खड़ा होता है, वहीं से मांगने वालों की लाइन शुरू होती है। अभी आपने सुना ही होगा कि कैसे वह फिर एक बार आईएमएफ के पास कर्ज मांगने गया। वहीं, दूसरी तरफ हमारा देश है कि हम आज उन देशों की श्रेणी में आते हैं, जो आईएमएफ को कर्ज देते हैं, ताकि वह गरीब देशों को कर्ज़ दे सके।
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