अभिसार वाघमारे: उम्मीद की रोशनी से हासिल की अंधेरे पर जीत
विपत्ति को शक्ति में बदलने की कहानी

उन्होंने पढ़ाई के नए तरीके खोजे, हर बाधा को पार किया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। अभिसार वाघमारे एक ऐसा नाम है, जो उम्मीद की रोशनी से अंधेरे पर जीत का पर्याय बन चुका है। उन्होंने अपनी मेहनत, योग्यता, प्रेरणा और लगातार कोशिशों से यह उपलब्धि हासिल की है।
जब उनकी उम्र 17 साल थी, तब नागपुर के रामटेक में एक बाइक हादसे ने ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी। इलाज के दौरान म्यूकोर्मिकोसिस नामक संक्रमण के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई।अभिसार के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी। उस दौरान कुछ लोगों की टिप्पणियों से उन्हें दु:ख भी हुआ, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अडिग रहने का फैसला किया। वे उम्मीद की रोशनी के दम पर अंधेरे को चुनौती देते हुए आगे बढ़ते रहे। उन्होंने इंजीनियर बनने के सपने को कभी नहीं छोड़ा।
अभिसार ने पाया कि असली ताकत भीतर से आती है। सफल होने की चाहत और सीमाओं से न बंधे रहने की जिद ने उन्हें आज का अभिसार बना दिया। उन्होंने पढ़ाई के नए तरीके खोजे, तकनीक और समाधान की क्षमता का उपयोग करके हर बाधा को पार किया।
जब अभिसार ने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री माता-पिता के हाथों में रखी, तो उनकी आंखों में खुशी के साथ गर्व के आंसू थे। उनके बेटे का संघर्ष सिर्फ डिग्री के लिए नहीं, बल्कि अपनी गरिमा के लिए भी था। अभिसार ने साबित कर दिया कि कोई भी बाधा हमारे मनोबल से बड़ी नहीं होती है।
डिजिटल परामर्श कंपनी पब्लिसिस सैपिएंट ने अभिसार के आशावाद, जिज्ञासा और जुनून को एक मंच दिया, जहां वे क्लाउड इंजीनियरिंग टीम का हिस्सा बने। वे आई-स्टेम के सह-संस्थापक भी हैं। अभिसार की कहानी सिर्फ शारीरिक सीमाओं को पार करने की नहीं है। यह विपत्ति को शक्ति में बदलने की कहानी है। उन्होंने शारीरिक और भावनात्मक दर्द का सामना किया, लेकिन वे और मजबूत होकर उभरे, यह साबित करते हुए कि किसी भी चुनौती को पार करना असंभव नहीं है।
उनकी यात्रा आशा और प्रेरणा की किरण है, जो हमें बताती है कि हमारी पहचान कठिनाइयों से नहीं, बल्कि उनसे ऊपर उठने की हमारी ताकत से बनती है। हर ठोकर एक अवसर हो सकती है। चाहे कितनी भी चुनौतियां क्यों न आएं, हम सभी में विपत्ति को विजय में बदलने की क्षमता होती है।
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