'ऑपरेशन सिंदूर' भारत की रक्षा शक्ति और आत्मनिर्भरता का साहसिक संकेत'
डीआरडीओ के पूर्व महानिदेशक डॉ. वीके सारस्वत ने कहा ...

Photo: DRDO Website
तिरुवनंतपुरम/दक्षिण भारत। डीआरडीओ के पूर्व महानिदेशक डॉ. वीके सारस्वत ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' ने दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत को कभी कम नहीं आंका जाना चाहिए और देश अब एक अग्रणी शक्ति है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई से यह भी पता चलता है कि भारत ने रक्षा प्रौद्योगिकी में कितनी आत्मनिर्भरता हासिल की है।भारत की मिसाइल और वायु रक्षा प्रणालियों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सारस्वत ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से भारत ने दिखा दिया है कि वह आत्मनिर्भर है और किसी भी दिशा से आने वाले किसी भी खतरे का मुकाबला करने की क्षमता रखता है।
सारस्वत ने कहा, 'जिस सटीकता के साथ हम दुश्मन के इलाके में लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम थे, वह हमारे हथियारों की गुणवत्ता को दर्शाता है। आज सबसे बड़ी बात यह है कि रूस से लिए गए एस400 के अलावा, मुझे लगता है कि सभी मिसाइलें एलआरएसएएम, एमआरएसएएम, आकाश और सभी ड्रोन, सभी लड़ाकू विमान, सब कुछ, देश में ही निर्मित हैं।'
आकाश, एमआरएसएएम (मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) और एलआरएसएएम (लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल) भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली के प्रमुख घटक हैं।
नीति आयोग के सदस्य ने याद दिलाया कि मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) के तहत अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भारत पर लगाए गए प्रतिबंध, देश के लिए अपने हथियार प्रणालियों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और घटकों को विकसित करने का अवसर बन गए।
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