उपराष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए स्वामीनाथन
उपराष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए स्वामीनाथन
चेन्नई। रविवार को वेपेरी स्थित पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में कृषि विज्ञान तमिल सोसाइटी, नई दिल्ली, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय कोयंबटूर, तमिलनाडु पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय चेन्नई और तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय नागपट्टनम के संयुक्त तत्वावधान में कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को पुरस्कृत करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में प्रो. एमएस स्वामीनाथन को ‘येरारिग्नार पुरस्कार’’ से राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पुरस्कृत किया।इस अवसर पर उपस्थित पशु चिकित्सकों, कृषि विशेषज्ञों और कृषि विज्ञान शोधार्थियों को संबोधित करते हुए एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मैं भी एक किसान परिवार से आता हूं और इस बात से वाकिफ हूं कि किसानों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना प़डता है। उन्हांेने कहा कि भारत एक कृषि आधारित देश है और जब तक हमारे देश में किसानों की स्थिति अच्छी नहीं होगी हम आर्थिक ऊंचाइयों की सीढी नहीं चढ पाएंगे। उप राष्ट्रपति ने कहा कि मौजूदा समय की मांग है कि हम कृषि के क्षेत्र में शोध कार्यों को आगे बढाएं ताकि हमारे किसानों की उत्पादकता बढ सके और हमें अधिक से अधिक अन्न प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि आज स्थिति है कि डॉक्टर का पुत्र डॉक्टर, इंजीनियर का पुत्र इंजीनियर और अन्य पेशों से जु़डे लोगों के पुत्र उनके पेशे में जाना चाहते हैं लेकिन एक किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता।इस अवसर पर उपस्थित राज्य के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि देश में अभी भी ऐसे लाखों किसान हैं जो समुचित संसाधन के अभाव में सही ढंग से कृषि उत्पादन नहीं कर पाते हैा। इसके साथ ही मौसम के अनुकूल नहीं होने पर भी हमारे किसानों को काफी मुश्किल स्थितियों का सामना करना प़डता है। यह काफी दु:खद है कि हमारे देश के किसानों को अपनी आर्थिक स्थिति के कारण आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाने के लिए बाध्य होना प़डता है। उन्होंने कहा कि हमारे कृषि क्षेत्र को कुछ इस प्रकार से उन्नत बनाने की आवश्यकता है कि हमारे किसानों को आत्महत्या करने जैसा गंभीर कदम उठाने के लिए बाध्य नहीं होना प़डा।पुरस्कार प्राप्त करने के बाद प्रो एमएस स्वामीनाथन ने कहा कि मेरे लिए यह काफी गौरव का क्षण है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर विकास का असर हमारे देश पर भी प़डा है और हमारे कृषि भूमि का क्षेत्रफल वर्ष दर वर्ष घट रहा है। यह काफी चिंता का विषय है। जीने के लिए अन्न के महत्व से कोई भी अनजान नहीं है इसके बाद भी कृषि कार्यों के प्रति हमारी उदासीनता और कृषि भूखंडों का आवासीय और वाणिज्यिक भूखंडों में रुपांतरण हमारे लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें देश में खाद्य सुरक्षा लाने की ओर कदम बढा रही हैं लेकिन सही मायने में खाद्य सुरक्षा को सिर्फ तब ही हासिल किया जा सकता है जब हमारे पास कृषि उत्पादों की अच्छी प्रजातियां हों। कृषि शोध के क्षेत्र में हमारे देश ने काफी प्रगति की है लेकिन अभी भी हमंें काफी लंबी दूरी तय करनी है।इस अवसर पर राज्य के तमिल एवं संस्कृति मंत्री एम पांडियाराजन और कृषि मंत्री आर दूरैकन्नू के साथ ही तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय कोयंबटूर के कुलपति डॉ के रामास्वामी, इंदिरा गांधी कृषि शोध परिषद के पूर्व महानिदेशक और राज्य के कृषि शोध विभाग के पूर्व सचिव प्रो एस अयप्पन और कृषि वैज्ञानिक तमिल सोसाइटी के संस्थापक मुतमिल सेल्वन भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम के लिए राज्य के मुख्यमंत्री ईडाप्पाडी के पलानीस्वामी को आमंत्रित किया गया था लेकिन किसी कारणवश वे इस कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके। कार्यक्रम का समापन तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय नागपट्टिनम के कुलपति डॉ एस फलेक्स ने धन्यवाद ज्ञापित किया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।