किशोर व युवा वर्ग से तय होगी देश के भविष्य की दिशा: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
अच्छाइयों की चिंता बहुत कम लोग करते हैं

अच्छाइयों को प्राप्त करना सरल नहीं है
होसपेट/दक्षिण भारत। शहर के एमजे नगर स्थित आराधना भवन में विशेषकर अविवाहित युवक-युवतियों के युवा सेमिनार में आचार्य विमलसागरसूरीश्वर ने कहा कि अच्छाइयों को जीवित रखने और उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए समाज के संगठित प्रयास बहुत जरूरी हैं। अगर हम मात्र धन कमाने, उत्सव मनाने और मौजशौक में ही अनुरक्त रहते हैं तो अच्छाइयों को प्राप्त करना सरल नहीं है।
आज बुराइयों का सर्वाधिक प्रसार-प्रचार हो रहा है। मनुष्य को अच्छी बातें जितनी प्रभावित नहीं करतीं, बुराइयां उतनी जल्दी हर किसी पर हावी हो रही हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे दौर में किशोर व युवा वर्ग को अपने मन को नियंत्रित करते हुए बुराइयों से बचना और अच्छाइयों के मार्ग पर आगे बढ़ना बहुत बड़ी चुनौती है।जैनाचार्य कहा कि देश का भविष्य व्यापार-उद्योग, सेना, प्रशासन, जीडीपी दर की वृद्धि और साधन-सुविधाओं के भरोसे ही उज्ज्वल होगा, ऐसा नहीं है। देश के किशोर व युवा कौनसी राह पर आगे बढ़ते हैं, उस पर देशका भविष्य निर्भर करेगा। क्योंकि किशोर व युवा वर्ग राष्ट्र व समाज की रीढ़ हैं।
आधुनिक स्वार्थ और भोग-विलास के युग में अच्छाइयों की चिंता बहुत कम लोग करते हैं। धर्म के सिद्धांत और आदर्शों की बातें अब अमूमन ग्रंथों में ही दिखाई देती हैं। जीवन को महकाने और सफल करने के स्वर्णिम हम खोते जा रहे हैं।
मंगलाचरण के बाद लाभार्थी परिवारों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर सेमिनार का शुभारंभ किया गया। गणि पद्मविमलसागरजी के साथ अनेक संत एवं साध्वी नंदीवर्धना भी सेमिनार में उपस्थित थे। सेमिनार के अंत में परिचर्चा आयोजित हुई।
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