आधार बना वरदान, मानसिक रूप से अशक्त किशोर 10 साल बाद अपने परिवार से मिला

आधार बना वरदान, मानसिक रूप से अशक्त किशोर 10 साल बाद अपने परिवार से मिला

आधार बना वरदान, मानसिक रूप से अशक्त किशोर 10 साल बाद अपने परिवार से मिला

फोटो स्रोत: uidai.gov.in

नागपुर/भाषा। मध्य प्रदेश के जबलपुर से आठ साल की उम्र में लापता हुआ मानसिक रूप से अशक्त एक बच्चा आधार कार्ड की वजह से अब 18 साल की उम्र में अपने परिवारवालों से दोबारा मिल पाया है। वह महाराष्ट्र के नागपुर में एक परिवार के साथ रहने लगा था। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2011 में उसके लापता होने से पहले परिवार के सदस्यों ने उसका आधार पंजीकरण कराया था, जिसने अब घरवालों से मिलने में उसकी मदद की।

इतने वर्षों से परिवार के सदस्य की तरह उसकी देखभाल करनेवाले व्यक्ति समर्थ दामले ने कहा कि किशोर को 30 जून को उसके माता-पिता को सौंप दिया गया। दामले नागपुर के पंचशील नगर इलाके में एक अनाथालय चलाते थे, जो 2015 में बंद हो गया। दामले ने बताया, ‘वह करीब आठ साल का था और रेलवे स्टेशन पर भटकता मिला था। पुलिस उसे हमारे अनाथालय लेकर आई थी।’

उन्होंने बताया, ‘वह मानसिक रूप से अशक्त है और अच्छी तरह से बोलने में असमर्थ है। हमने उसका नाम अमन रखा क्योंकि वह बस ‘अम्मा अम्मा’ बोल पा रहा था। वह 2015 तक अनाथालय में रहा, लेकिन उसके बंद होने के बाद अमन की कोई देखभाल करनेवाला कोई नहीं था, इसलिए हम उसे घर ले आए और तब से वह हमारे साथ परिवार के सदस्य की तरह रह रहा था। मुझे एक बेटा और एक बेटी है।’

दामले ने बताया कि अमन का दाखिला एक स्थानीय विद्यालय में कराया गया, जहां अब वह दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था। उन्होंने कहा, ‘विद्यालय को उसके आधार का विवरण चाहिए था। मैंने उसका नाम आधार के लिए पंजीकरण कराना चाहा, लेकिन बायोमेट्रिक की समस्याओं की वजह से वह खारिज हो जा रहा था। इसके बाद, मैंने नागपुर के मनकापुर इलाके में यूआईडीएआई केंद्र से संपर्क किया, जहां केंद्र के प्रबंधक ने पाया कि उसका पहले से आधार पंजीकरण हो चुका है और उसका असली नाम मोहम्मद आमिर है। इससे उसे परिवार से मिलवाने में मदद मिल गई।’

मनकापुर के आधार सेवा केंद्र के प्रबंधक अनिल मराठे ने बताया कि दामले उनके पास तीन जून को अमन का आधार कार्ड बनवाने आए थे।’ उन्होंने कहा, ‘हमने उसका नाम पंजीकृत करने की कई बार कोशिश की, लेकिन बायोमेट्रिक की दिक्कतों की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा था। इसलिए यूआईडीएआई के बेंगलूरु स्थित तकनीकी केंद्र और मुंबई में क्षेत्रीय कार्यालय की मदद से हम उसके बायोमेट्रिक के आधार पर उसके आधार कार्ड की जानकारी पाने में सफल रहे।’

उन्होंने बताया कि यह पाया गया कि आधार पंजीकरण 2011 में जबलपुर में हुआ था और उसका असली नाम मोहम्मद आमिर है। अमन और आमिर की तस्वीर का मिलान भी हो गया। मराठे ने बताया कि उन्होंने दामले की अनुमति से जबलपुर में अपने दोस्तों के जरिए किशोर के परिवार के बारे में पता करना शुरू किया। आमिर के अभिभावक जबलपुर में खाद्य पदार्थों की दुकान चलाते हैं। वे नागपुर में दामले के पास आए और सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद 30 मार्च को उसे उन्हें सौंप दिया गया। दामले ने कहा कि उनके और उनके परिवार के लिए अमन को उसके माता-पिता को सौंपना मुश्किल था, लेकिन वे इससे खुश हैं। अमन के परिवार ने कहा है कि वे उनके आभारी हैं और वे जब चाहें, तब उससे मिल सकते हैं।

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