बिहार: जनता बाढ़ से बेहाल, नीतीश सरकार विधायकों को बांट रही बंगले-जमीन

बिहार: जनता बाढ़ से बेहाल, नीतीश सरकार विधायकों को बांट रही बंगले-जमीन

(बाएं) बिहार में बाढ़, (दाएं) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार.

पटना/दक्षिण भारत। बिहार के दर्जनभर जिले बाढ़ की चपेट में हैं, जिसकी वजह से करीब 85 लाख से ज्यादा आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब तक कई आशियाने जलसमाधि लेकर धराशायी हो चुके हैं। वर्षों की मेहनत यूं जलमग्न होते देख लोगों की आंखें डबडबा रही हैं। अब अगला ठिकाना क्या होगा? मालूम नहीं। क्या सिर पर खुद की छत होगी? पता नहीं। फिलहाल तो सड़कों के किनारे रहने की मजबूरी है।

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दूसरी ओर, एक फैसले की वजह से बिहार सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में मुश्किल हालात के बावजूद बिहार सरकार सभी विधायकों को वेतन में 33 प्रतिशत वृद्धि का तोहफा दे चुकी है। यही नहीं, अब इन ‘माननीयों’ को पटना के एक पॉश इलाके में दो-दो कट्ठा जमीन और आलीशान बंगले देने की तैयारी हो रही है। यह सबकुछ ऐसे समय में हो रहा है जब बाढ़ की वजह से बिहार में हाहाकार मचा हुआ है और कई परिवारों के घर उजड़ चुके हैं।

‘एक बंगला बने न्यारा ..’
जानकारी के अनुसार, बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने फैसला किया है कि विधायकों को पटना में घर बनाने के लिए जमीन और बंगला बनाकर दिया जाए। इस काम के लिए पटना के आशियाना नगर-दीघा रोड में विधायकों को दो-दो कट्ठा जमीन आवंटन की योजना बनाई गई है। चूंकि राज्य विधानसभा में 243 सदस्य और विधान परिषद के 75 सदस्य हैं। ऐसे में 318 ‘माननीयों’ के आशियानों पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे। उक्त आवंटन के लिए सोसायटी बनाने का फैसला किया गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सोसायटी के लिए नोडल एजेंसी बिहार राज्य सहकारी संघ और बिहार भूमि विकास बैंक होगी। यह संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार की अध्यक्षता में चल रही स्वावलंबी गृह निर्माण सहयोग समिति को जमीन उपलब्ध कराएगी। इसके सचिव बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर हैं, जबकि भाजपा विधायक सचिंद्र कुमार कोषाध्यक्ष हैं।

बदले सियासी हालात, नेताओं में होड़
जब से बंगला-जमीन आवंटन की यह सूचना सामने आई है, इसे पाने के लिए नेताओं में होड़ मची है। सहकारी समिति का सदस्य बनने के लिए ऐसे वर्तमान और पूर्व विधायक पात्र होंगे जिनका पटना में घर नहीं है। इस संबंध में मंत्री श्रवण कुमार कहते हैं कि मानसून सत्र संपन्न होने तक 150 फॉर्म जमा हो चुके हैं।

नेताओं में जमीन पाने की इस होड़ की एक और वजह भी मानी जा रही है। चूंकि लोकसभा चुनाव में विपक्ष को भारी नुकसान हुआ। ऐसे में बदले सियासी हालात के मद्देनजर कई नेताओं को लगता है कि वे दोबारा चुनाव नहीं जीत पाएंगे या पार्टी उन्हें टिकट देने से मना कर देगी। ऐसे में अपना ‘भविष्य’ सुरक्षित बनाने के लिए उन्हें यह सही मौका लग रहा है।

जब नियमों की हुई अनदेखी
पूर्व में बिहार के कई विधायकों को वेटरनरी कॉलेज के पास भूखंड आवंटित किए गए। यहां देश और प्रदेश की राजनीति के जानेमाने नेताओं के घर हैं। वहीं, एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कई विधायकों ने तो अपने भूखंड बाद में बेच दिए या किराए पर दे दिए। इस तरह यहां सहकारी समिति के नियमों की अनदेखी हुर्ह है।

बिहार सरकार ने विधायकों के लिए हाल में करीब 600 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त आलीशान डुप्लेक्स बंगलों का निर्माण करवाया। ये बंगले सदस्यों के निर्वाचन क्षेत्र संख्या के अनुसार आवंटित किए जाएंगे। इस साल दिसंबर तक इनका कब्जा दे दिया जाएगा।

‘माननीयों’ के पूरे ठाठ!
बिहार में बड़ी तादाद में आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजारा करने को मजबूर है। उसे मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पातीं। अब बाढ़ ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। वहीं, बिहार में माननीयों के ठाठ हैं। पिछले साल नवंबर में नीतीश सरकार ने विधायकों के वेतन में 33 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी। साथ ही उनके भत्ते भी काफी बढ़ा दिए गए। इस प्रकार बिहार के विधायकों को 40 हजार रुपए मूल वेतन के अलावा 50 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 10 हजार रुपए स्टेशनरी और निजी सचिव रखने के 30 हजार रुपए प्रति माह दिए जाते हैं। वे हर साल 3 लाख रु. का वाहन और 15 लाख रु. तक का वाहन ऋण पा सकते हैं।

सरकार ने पूर्व विधायकों की पेंशन में भी इजाफा कर दिया। विधायिका में एक वर्ष के कार्यकाल वाले पूर्व विधायकों को 35 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जाती है। इसके अलावा विधायकों के रूप में दी जाने वाली हर अतिरिक्त वर्ष के लिए उनकी पेंशन राशि 3,000 रुपए प्रति माह बढ़ जाती है।

करोड़पतियों पर ‘धनवर्षा’
माननीयों पर इस ‘धनवर्षा’ का दूसरा पहलू यह है कि बिहार के कई विधायक करोड़पति हैं। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक रिपोर्ट कहती है कि बिहार के 243 में से 162 विधायक करोड़पति हैं। हालांकि चुनावी मौसम और जनसभाओं में ये गरीबों की लड़ाई लड़ने का दावा करते हैं और एक-दूसरे पर तीखे शब्दबाण छोड़ने से नहीं चूकते, लेकिन बात जब तनख्वाह बढ़ाने और बंगले लेने की आती है तो सब एकजुट हो जाते हैं।

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