आत्मनिर्भर भारत का आह्वान: प्रधानमंत्री ने किया 20 लाख करोड़ रु. के आर्थिक पैकेज का ऐलान

आत्मनिर्भर भारत का आह्वान: प्रधानमंत्री ने किया 20 लाख करोड़ रु. के आर्थिक पैकेज का ऐलान

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए अर्थव्यवस्था में ऊर्जा फूंकने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पैकेज देश की जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है, इससे भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले कुछ दिनों तक चरणबद्ध ढंग से इसका विस्तृत विवरण देश के सामने प्रस्तुत करेंगी।

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इसके साथ ही उन्होंने लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिए। प्रधानमंत्री ने ‘लॉकडाउन 4’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह पूरी तरह नए रंग-रूप वाला और नए नियमों वाला होगा। राज्यों से जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर 18 मई से पहले इसकी जानकारी दे दी जाएगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। यह आर्थिक पैकेज ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। उन्होंने कहा कि हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का यह पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु-मझोले उद्योग, एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन और आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है।

ऐसे होगी संकल्प की सिद्धि
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में भूमि (लैंड), श्रम (लेबर), नकदी (लिक्विडिटी), कानून (लॉज) सभी पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए परिश्रम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि यह पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है। उन्होंने कहा कि हमारे जो रेहड़ी, ठेला लगाने वाले भाई-बहन हैं, जो श्रमिक साथी हैं, उन्होंने इस दौरान बहुत कष्ट झेले हैं, त्याग किए हैं। अब हमारा कर्तव्य है कि उन्हें ताकतवर बनाया जाए।

लोकल के लिए बनें ‘वोकल’
प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों से जुड़े कारोबार को मजबूत बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है, न सिर्फ लोकल प्रॉडक्ट्स खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।

आत्मनिर्भरता में सुख, संतोष और शक्ति
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है। 21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा। इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी। आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है।

उन्होंने कहा कि आज हमारे पास साधन हैं, सामर्थ्य है, दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रॉडक्ट्स बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। और आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना।

5 स्तंभों का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की यह भव्य इमारत पांच स्तंभों पर खड़ी होगी। इनमें पहला स्तंभ इकोनॉमी है, एक ऐसी इकोनॉमी जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं बल्कि क्वांटम जंप लाए। दूसरा स्तंभ इंफ्रास्ट्रक्चर है, ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा स्तंभ हमारा सिस्टम, एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी चालित व्यवस्थाओं पर आधारित हो। चौथा स्तंभ हमारी डेमोग्राफी दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफी हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पांचवां स्तंभ डिमांड है, हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा, आपने भी अनुभव किया है कि बीते छह वर्षों में जो रिफॉर्म्स हुए, उनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आई हैं। अब रिफॉर्म्स के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है। ये रिफॉर्म्स खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो।

थकना, हारना, टूटना मंजूर नहीं
प्रधानमंत्री ने 2001 में गुजरात के कच्छ में आए भूकंप, उससे पैदा हालात और वहां संकल्पशक्ति से आए अच्छे बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। उन्होंने कहा कि जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का यहां नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति यह है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख पीपीई किट और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। यह हम इसलिए कर पाए क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। भारत की यह दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी की प्रभावी सिद्ध होने वाली है।

भारत के लिए आत्मनिर्भरता के मायने
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है। भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है- आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध था तब सोने की चिड़िया कहा जाता था। सम्पन्न था तब सदा विश्व के कल्याण की राह पर ही चला। विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, जिसकी आत्मा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ है। प्रधानमंत्री ने संपूर्ण विश्व में कोरोना महामारी से उपजे हालात पर कहा कि तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। भारत में भी अनेक परिवारों ने अपने स्वजन खोए हैं। मैं सभी के प्रति संवेदन व्यक्त करता हूं।

नई आशा लेकर पहुंचती हैं भारत की दवाइयां
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनियाभर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है।

नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति से बढ़ेंगे आगे
प्रधानमंत्री ने लोगों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत का युग हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा। अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा, मुझे पूरा भरोसा है कि नियमों का पालन करते हुए हम कोरोना वायरस से लड़ेंगे भी और आगे भी बढ़ेंगे।

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