क्या राजस्थान में तीसरे मोर्चे के नाम पर सियासी जुगलबंदी कांग्रेस को पहुंचाएगी नुकसान?

क्या राजस्थान में तीसरे मोर्चे के नाम पर सियासी जुगलबंदी कांग्रेस को पहुंचाएगी नुकसान?

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही कई सियासी समीकरण ​बनने और बिगड़ने लगे हैं। राजस्थान में भाजपा की सरकार है और पिछले कुछ वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि प्रदेश का मतदाता एक कार्यकाल के बाद सरकार बदल देता है। ऐसे में कांग्रेस को आस है कि सत्ता में लौटने का उसका सपना पूरा हो सकता है, लेकिन यह भी सच है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के उदय के बाद कई स्थानों पर कांग्रेस की रणनीति फेल हो चुकी है।

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इसके अलावा राजस्थान में कांग्रेस के सामने एक और बड़ी चुनौती उपस्थित हो गई है। पिछले दिनों बसपा प्रमुख मायावती ने ऐलान किया था कि वे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगी। इसके बाद यह चर्चा जोरों पर है कि राजस्थान में कुछ सीटों पर बसपा कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है। उसके उम्मीदवार कांग्रेस के वोट काट सकते हैं।

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इसके अलावा राजस्थान में एक और सियासी समीकरण कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा कर सकता है। प्रदेश में तीसरे मोर्चे के नाम पर कुछ पार्टियां एकजुट होने लगी हैं। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नामक गठबंधन में छह पार्टियों के जुटने की चर्चा है और बसपा की भी इसमें दिलचस्पी बताई जा रही है। अगर तीसरा मोर्चा कायम करने के लिए ये पार्टियां एकजुट होकर मैदान में उतरती हैं तो इस बात की ज्यादा संभावना है कि ये कांग्रेस के वोट काटेंगी।

इस संबंध में माकपा नेता और पूर्व विधायक अमराराम का भी नाम सुर्खियों में है। उन्होंने कहा है कि तीसरा मोर्चा कांग्रेस और भाजपा से लड़ने वाली किसी भी पार्टी से गठबंधन के लिए तैयार है। उन्होंने कहा है कि ऐसी सीटों पर उनकी नजर है जहां तीसरे मोर्चे में शामिल पार्टियां ताकतवर स्थिति में हैं।

वर्ष 2013 के लोकसभा चुनावों में भी तीसरे मोर्चे की आवाज उठी थी, लेकिन वह कोई खास असर नहीं दिखा पाई। उस दौरान किरोड़ी लाल मीणा तीसरे मोर्चे का चेहरा बनकर उभरे थे, परंतु चुनाव नतीजे उनके पक्ष में नहीं आए। अब वे भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। अलबत्ता उन चुनावों में उन्होंने कई सीटों पर कांग्रेस को तगड़ा नुकसान पहुंचाया था। अगर इस बार भी विधानसभा चुनावों में तीसरे मोर्चे की योजना बना रहीं ये पार्टियां अपना दमखम दिखाने में कामयाब हुईं तो कांग्रेस के लिए सत्ता में लौटने का रास्ता और ज्यादा मुश्किलों से भरा हो सकता है।

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