धर्मांतरण का दांव
धर्मांतरण एक गंभीर समस्या है

पंजाब में तो ऐसा वर्षों से हो रहा है
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में सिक्ख समुदाय के कई लोगों का धर्मांतरण कराने संबंधी शिकायतों की गहराई से जांच होनी चाहिए। धर्मांतरण एक गंभीर समस्या है, जो भविष्य में कई समस्याओं को जन्म देती है। अक्सर इसके बारे में यह कहते हुए गंभीरता को कम करके दिखाने की कोशिश की जाती है कि हर व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार धर्म अपनाने को स्वतंत्र है। यहां इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एक मामले में की गई टिप्पणी अत्यंत प्रासंगिक है- 'संविधान बलपूर्वक या धोखे से धर्म परिवर्तन का समर्थन नहीं करता और न ही यह धर्म के प्रचार की आड़ में बलपूर्वक या भ्रामक व्यवहार को ढाल प्रदान करता है।' आज जहां-जहां धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं, वहां ऐसा 'व्यवहार' देखने को मिलता है। पीलीभीत जिले में एक प्रमुख सिक्ख संगठन ने तो अपने समुदाय के 3,000 लोगों के धर्मांतरण का दावा किया है। असल आंकड़ा जो भी हो, लेकिन इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि देश में हिंदू और सिक्ख समुदाय के लोगों के धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं। इस मामले में वर्षों से दिया जा रहा यह तर्क कोई मायने नहीं रखता कि आज किसी का जबरन या लालच देकर धर्मांतरण नहीं कराया जा सकता। हाल के वर्षों में ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे पता चलता है कि भारत में धर्मांतरण के लिए लालच, डर, चमत्कार जैसे पैंतरे आजमाए जाते हैं। पीलीभीत में धर्मांतरण संबंधी घटनाओं के लिए नेपाली पादरियों पर आरोप लगाया गया है, जो सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय हैं और प्रलोभन के जरिए अपने काम को अंजाम दे रहे हैं।
बीमारी दूर करने, पारिवारिक जीवन खुशहाल बनाने, नौकरी दिलाने, वीजा दिलाने, शादी कराने और संतान प्राप्ति होने जैसे अनगिनत सपने दिखाकर धर्मांतरण का खेल धड़ल्ले से चलता है। पंजाब में तो ऐसा वर्षों से हो रहा है। वहां रेडियो और टीवी कार्यक्रमों का सहारा लेते हुए धर्मांतरण के लिए जमीन तैयार की गई। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित यह राज्य पूर्व में उग्रवाद से पीड़ित रहा है। यहां मधुर सपने दिखाकर किए जा रहे धर्मांतरण के क्या नतीजे निकलेंगे? जिन लोगों का धर्मांतरण कराया गया, उनकी ज़िंदगी पर गौर करें तो ज्यादातर लोग ऐसे मिलेंगे, जो दिक्कतों और अभावों से जूझ रहे थे। किसी की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, कोई अपना या परिवार के सदस्य का इलाज कराने में समर्थ नहीं था, किसी के बच्चों का अच्छे स्कूल में एडमिशन नहीं हो रहा था। धर्मांतरण कराने वाले गिरोह ऐसी कोशिश करते हैं, जिससे लोगों का उन पर भरोसा मजबूत हो जाए। वे कुछ आर्थिक सहायता भी देते हैं, चमत्कारों से स्वस्थ करने का दावा करते हैं। यही नहीं, वे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के अलावा पढ़ाई-लिखाई में भी मदद कर देते हैं। इसके बदले संबंधित व्यक्ति को अपनी आस्था बदलनी होती है। पीलीभीत से आ रहीं शिकायतों में इसी की झलक मिलती है, जहां एक सामाजिक कार्यकर्ता ने गरीबी और शिक्षा की कमी जैसे कारकों को धर्मांतरण के लिए जिम्मेदार ठहराया है। वहां जिस तरह धर्मांतरण की घटनाओं में नेपाली पादरियों की भूमिका होने का आरोप लगाया जा रहा है, उससे नेपाली प्रशासन को भी सतर्क हो जाना चाहिए। क्या ये लोग अपने देश में धर्मांतरण को बढ़ावा नहीं दे रहे होंगे? भारत और नेपाल के मधुर संबंध हैं। दोनों में हिंदू बहुसंख्यक हैं। अगर सीमावर्ती इलाकों में धर्मांतरण की घटनाएं होती रहीं तो इससे भविष्य में राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। ऐसी गतिविधियों में लिप्त लोगों को कठोर दंड देने के साथ ही उन वजहों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिनसे धर्मांतरण का सिलसिला शुरू होकर आगे बढ़ता ही जाता है।About The Author
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